दिल्ली सरकार जो स्कूलों में शिक्षा के स्तर को जहाँ सुधारने की बात करती है , वही कुछ स्कूल ऐसे भी है जहाँ आर्थिक तोर पर पिछड़े वर्ग के बच्चो को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया और उसे , स्कूलों ने मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून का हवाला दिया है। अप्पपको बता दे मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत आठवीं तक की शिक्षा निशुल्क है। हलाकि इसपर पेरेंट्स का कहना है की आठवीं के परिणाम अभी तक घोषित नहीं किया गया है तो उससे पहले ही बच्चो को निलंबित कैसे किया गया?

 

इसी चलते स्कूल के इस फैसले के विरोध में शुक्रवार को दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन के नेतृत्व में पेरेंट्स एकत्र हुए। वहां अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन भी किया । इनकी माने तो स्कूल ने अचानक कह दिया कि बच्चे नौवीं में ईडब्लयूएस श्रेणी में नहीं पढ़ सकते है । इसलिए या तो सामान्य वर्ग में दाखिला ले या पूरी फीस भाङनि पड़ेगी । अन्यथा बच्चों की टीसी लेकर दूसरे स्कूल में दाखिला लो। इसी को लेकर अब पेरेंट्स ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में कुछ कदम उठाने की मांग की है।

 

जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार और राजधानी के  निजी स्कूलों के बीच एक लंबे समय से अधिकारों और व्यवहार को लेकर बहस चल रही है। केजरीवाल सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर बहुत हद तक अंकुश लगाया था पर इसके बावजूद बहुत से स्कूल अपनी मनमानी कर रहे है । खास तौर से फीस और सालाना फीस के अलावा स्टेशनरी और यूनिफॉर्म इत्यादि को लेकर भी दिल्ली सरकार का रवैया निजी स्कूलों के प्रति बेहत सख्त है। आप के राज में निजी स्कूल खासी बंदिश महसूस कर रहे हैं। जिसका आसार इन मासूम बच्चों के करियर पर पर रहा है।

 

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