देश में उत्तराधिकार और विरासत संबंधी नियमों में एकरूपता पर दाखिल याचिका में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को उत्तराधिकार के संबंध में जवाब दायर करने को कहा गया है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है।

 

याचिकाकर्ता ने कहा है कि उत्तराधिकार के नियम लैंगिक अथवा धार्मिक भेदभाव के बिना प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान होने चाहिए। याचि ने कानून मंत्रालय और महिला एंव बाल विकास मंत्रालय को प्रतिवादी बनाकर उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई कि उत्तराधिकार संबंधित विषमताओं को दूर किया जाए और उसे लैंगिक अथवा धार्मिक भेदभाव से इतर समान रुप से लागू किया जाए।

Images 2021 03 10T192218.583 पूरे भारत में हिंदू-मुसलमान के लिए अलग अलग प्रॉपर्टी क़ानून क्यू? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब माँगा

बता दें कि मौजूदा समय में धर्म और लिंग के आधार पर अलग-अलग कानून है। जिसमें हिन्दू उत्तराधिकार कानून 1956 है तो वहीं मुस्लिम में उत्तराधिकार कानून शरियत लाॅ 1967 के अंतर्गत आता है। जबकि इसाई और पारसी धर्म में उत्तराधिकार कानून इंडियन सेक्शन एक्ट 1925 के अंतर्गत आता है।

कुछ समय पहले हिन्दूओं के उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत बदलाव किए गए थे। जिसमें हिन्दू लड़का, लड़की दोनों को उत्तराधिकार का समान हक दिया गया था। बाकी धर्मों में इस तरह का अधिकार नहीं दिया गया है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस भेज जवाब देने को कहा है।

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