गौर फरमाइए गा कि जिस समाज की गति आज आप पढ़ रहे हैं वह कल आपके साथ भी हो सकता है. मैं इस वक्त Work From Home कर रहा हूं, और अक्सर खबरों का संपादन में बोलकर भाषा में बदलने वाले सॉफ्टवेयर से करता हूं और इस वक्त मैं काफी धीरे-धीरे बोलकर इस खबर का संपादन कर रहा हूं ताकि या पूरी खबर मेरे घर की बच्ची, बहन या पत्नी ना सुन ले. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं खबर कितनी समाज की नीचता को दिखा रही है कि व्यक्ति खुद इसका संपादन करने में असहज हो जा रहा है.
भारत के 1 बड़े शहर में एक महिला को कैंसर हो जाता है और उस महिला की नन्हीं सी बेटी जो महज 12 साल की है वह अपनी मां को बचाने के लिए हर तरीके से कोशिश करने रही है. इस कोशिश के दरमियां उसे एक महिला अपने यहां छोटे बच्चों के देखभाल के लिए काम पर रखने का वादा करती है.
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इसी वादे के लिए उसने ₹5000 उसके मां के कैंसर के इलाज के देने के लिए कहा और बच्ची खुशी-खुशी राजी हो गई क्योंकि वह अपनी मां को जिंदगी देना चाहती थी. इसके बाद वह महिला उस बच्चे को एक बर्थडे पार्टी में अपने बच्चों के देखभाल के नाम पर ले कर जाती है और वहां पर इस बच्ची के कौमार्य (virginity) के नाम पर ऊंचे दाम पर दो लोगों को बेच देती हैं.
समय रहते इस बच्चे की शिकायत एक लोकल एनजीओ में पहुंचती हैं और उसके बाद लोकल एनजीओ तुरंत एक्शन में आते ही पुलिस को इस बात की जानकारी देते हैं. इसके बाद पुलिस ने उस बर्थडे पार्टी में तुरंत दो नकली ग्राहक अपने आदमी को बनाकर भेजती हैं और सौदा होते पुलिस पहले बच्ची को बचा लेती हैं और साथ ही सौदा करने वाली महिलाओं को भी गिरफ्तार कर लेते हैं.
अब यह सोचने की बात है कि एक बेहद ही नाजुक वक्त का इस्तेमाल आज का समाज किस तरीके से कर रहा है. मैं जरूर समझ सकता हूं कि यह खबर पढ़ने के साथ ही आपको आपके आंखों से आंसू आ गए होंगे और आपका दिल पसीज गया होगा, गुस्सा भी काफी आया होगा.
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अपने भावनाओं को रोकिए और चकाचौंध की जिंदगी जीने के साथ-साथ अपने बच्चों को सारे सहूलियत देने के साथ में सबसे खराब वक्त में भी अपने रक्षा और अपने अस्तित्व की लड़ाई कैसे करनी चाहिए इसकी शिक्षा जरूर दीजिए.