शौर्य चक्र विजेता बल¨वदर सिंह संधू की हत्या से पूरा पंजाब स्तब्ध है। वह कई वर्षो तक आतंकियों का मुकाबला करते रहे। उनका परिवार हमेशा आतंकियों के निशाने पर रहा, लेकिन कभी घबराए नहीं। 1993 में उन्हें दिए गए शौर्य चक्र के उद्धरण में लिखा है, ‘बलविंदर सिंह संधू और उनके भाई रंजीत सिंह संधू आतंकी गतिविधियों के सख्त विरोधी हैं।
वे आतंकियों की हिट लिस्ट में थे। आतंकियों ने 11 महीनों के अंतराल में संधू परिवार का सफाया करने के 16 प्रयास किए। उन पर 10 से 200 के समूह में हमला किया, लेकिन हर बार दोनों ने अपनी बहादुर पत्नियों जगदीश कौर संधू और बलराज कौर संधू की मदद से आतंकियों के प्रयास को विफल कर दिया। संधू परिवार पर पहला हमला 31 जनवरी, 1990 को किया गया, लेकिन सबसे घातक हमला 30 सितंबर, 1990 को हुआ।
उस दिन लगभग 200 आतंकियों ने संधू परिवार के घर को चारों ओर से घेर लिया था और उन पर लगातार पांच घंटे तक हमला करते रहे। आतंकी राकेट लांचर जैसे घातक हथियारों से लैस थे। घर की एप्रोच रोड पर माइंस बिछा दी गई थीं, ताकि पुलिस उनकी मदद के लिए न पहुंच सके। संधू भाइयों व उनकी पत्नियों ने सरकार की ओर से दी गई हथियारों से आतंकियों का मुकाबला किया।
और आज अपने देश में, अपने घर में ही उन्हें छलनी कर दिया गया हैं, पूर देश स्तब्ध हैं, भगवान इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.