नियम के मुताबिक पहली मेयर एक महिला बनेगी और निगम के कुल 250 वार्डों में से 135 पर महिला पार्षदों ने जीत दर्ज की है.

 

दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें मेयर के चुनाव पर हैं. निगम का नया मेयर कौन होगा? ये हर कोई जानना चाहता है, क्योंकि निगम के एकीकरण और चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पहली बार एकीकृत निगम का पहला मेयर चुना जाएगा.

दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक

चुनाव के बाद महापौर और उपमहापौर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखा गया है. ऐसे में पहले साल में महिला पार्षद ही महापौर और उपमहापौर बनती हैं. क्योंकि पांच साल के कार्यकाल में हर साल नया मेयर चुना जाता है तो उसमें पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि तीसरा साल अनुसूचित जाति से चुने हुए पार्षदों के लिए आरक्षित रखा गया है और बाकि साल जनरल सीट के लिए है.

दिल्ली में कैसे होता है मेयर का चुनाव ?

कुल 250 वार्डों में से ही एक महिला पार्षद को महापौर नियुक्त किया जाएगा और जिस पार्टी के पास बहुमत होगा उसी पार्टी का मेयर बनना लगभग तय माना जाता है. लेकिन यदि कोई पार्षद दूसरे दल के मेयर उम्मीदवार को अपना वोट देता है तो समीकरण बदल भी सकता हैं क्योंकि निगम में दल बदल कानून या व्हिप लागू नहीं होता. मेयर के चुनाव के लिए किसी भी पार्टी के पार्षद को किसी भी उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार है, ये प्रक्रिया पूरी तरीके से गुप्त रहती है. निगम में क्रॉस वोटिंग पर किसी पार्षद की सदस्यता रद्द नही होती.

ये नाम हैं रेस में..

आम आदमी पार्टी के 134 जीतने वाले पार्षदों में 78 महिला पार्षद हैं, जिसमें दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में महिला पार्षदों ने जीत का परचम लहराया है. इन 78 महिला पार्षदों में से ही किसी एक को मेयर और किसी एक को डिप्टी मेयर बनाया जा सकता है. आम आदमी पार्टी की 78 महिला पार्षदों में जो नाम रेस में हैं उनमें सारिका चौधरी, प्रोमिला गुप्ता, पूनम भारद्वाज, रेखा चौधरी, सरिता फोगाट, रवींद्र कौर और निर्मला कुमारी हैं. हालांकि पार्टी की तरफ से अभी कोई आधिकारिक सूचना इसको लेकर जारी नहीं की गई है. पार्टी कई नामों पर मंथन कर रही है.

 

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