दिल्ली के जीबी रोड के कुछ कोठों में गुरुवार देर रात आग लगने की घटना के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने शुक्रवार को पुलिस के साथ जीबी रोड का दौरा किया। आग लगने के कारण यहां रहने वाली सभी महिलाओं को अस्थायी शेल्टर होम में रखा गया है। स्वाति मालीवाल ने जीबी रोड के दुर्घटनाग्रस्त इलाके का जायजा लिया एवं वहां रहने और काम करने वाली महिलाओं से बात की।
मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने अब उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली फायर सर्विस को नोटिस जारी किया है। आयोग ने अपने नोटिस में पूछा है कि जीबी रोड के ये कोठे किसकी शह में चल रहे हैं और कैसे बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के ये कोठे चल रहे हैं।
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गौरतलब है कि दिल्ली महिला आयोग लंबे समय से जीबी रोड को बंद करवाने और वहां काम करने वाली महिलाओं के पुनर्वास के लिए लड़ाई लड़ रहा है। आयोग ने इन कोठों से अब तक कई लड़कियों और महिलाओं को छुड़ाया भी है। आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इन कोठों में रहने वाली महिलाओं की बदहाली को लेकर भी कई बार आवाज उठाई है। जीबी रोड के इन कोठों में छोटे-छोटे कमरों और तहखनों में कई सौ महिलाएं रह रही हैं।
DCW अध्यक्षा @swatijaihind ने किया GB रोड का निरीक्षण। कल देर रात शॉट सर्किट से लगी थी कुछ कोठों में आग, सभी महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया। आयोग का मामले में कड़ा रुख, MCD और दिल्ली फायर सर्विस को नोटिस, कैसे चल रहे हैं जीबी रोड के कोठे ? pic.twitter.com/MbSX8s3sTC
— Delhi Commission for Women – DCW (@DCWDelhi) November 6, 2020
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आयोग ने नोटिस में नगर निगम से पूछा है कि क्या निगम द्वारा कभी जीबी रोड का सर्वे किया गया है और वहां के हालातों को जाना है। साथ ही आयोग ने ये भी पूछा है कि क्या नगर निगम द्वारा इन कोठों को बंद करवाने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं। फायर सर्विस को भेजे गए नोटिस में आयोग ने पूछा है कि क्या जीबी रोड में आग लगने जैसी दुर्घटना की स्थिति में पर्याप्त इंतजाम उपलब्ध हैं और क्या इन इमारतों के लिए विभाग द्वारा कोई अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया गया है।
आयोग के प्रवक्ता राहुल तहिल्यानी ने बताया कि आयोग जीबी रोड में अमानवीय हालातों में चल रहे देह व्यापार के खिलाफ सख्त है और लंबे समय से जारी इस लड़ाई को और जोर-शोर से शुरू करने वाला है।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि जब से उन्होंने दिल्ली महिला आयोग का कार्यभार संभाला है तब से वह इन कोठों को बंद करवाने और यहां रहने वाली महिलाओं के पुनर्वास की लड़ाई लड़ रही हैं। ये कोठे बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों की शह पर चलते हैं और यहां रहने वाली महिलाएं एक दर्दनाक जीवन जी रही हैं।