• जेंडर सेंसटाइजेशन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट की जरूरत ख़त्म
  • फिटनेस टेस्ट के समय इस सर्टिफिकेट की जरूरत होगी

 

दिल्ली में कैब और आटोरिक्शा सहित सार्वजनिक परिवहन सेवा (पीएसवी) के सभी वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए अब जेंडर सेंसटाइजेशन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। परिवहन विभाग ने बृहस्पतिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। परिवहन विभाग के संयुक्त आयुक्त डा.नवलेंद्र कुमार सिंह ने इस आदेश में कहा है कि गत सात जनवरी 2022 को जारी एक आदेश में पीएसवी के फिटेनस टेस्ट के समय जेंडर सेंसटाइजेशन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट की जरूरत की बात कही गई थी।

लेकिन, अब पीएसवी जैसे आटो रिक्शा, टैक्सी, स्कूल कैब, फटफट सेवा, मैक्सी कैब, ग्रामीण सेवा, बस और मिनी बसों के चालकों के लाइसेंस नवीनीकरण के दौरान इस सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। अब केवल फिटनेस टेस्ट के समय इस सर्टिफिकेट की जरूरत होगी। इसे जारी करने वाली अधिकृत एजेंसी मानस फाउंडेशन या अन्य अधिकृत सेंटर का जारी सर्टिफिकेट 60 दिन से पुराना नहीं होना चाहिए। आप का अपना आटो यूनियन के उपेंद्र सिंह व संतोष पांडेय ने मांग की है कि इस सर्टिफिकेट की अनिवार्यता फिटनेस से भी हटाई जाए।

मालूम हो कि जनवरी माह में परिवहन विभाग की ओर से कहा गया था कि दिल्ली में कैब और आटोरिक्शा समेत सार्वजनिक परिवहन सेवा (पीएसवी) के सभी वाहनों को तब तक फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा, जब तक उनके ड्राइवर (महिला-पुरुष) लैंगिक समानता पाठ्यक्रम अनिवार्य तौर पर पूरा नहीं करेंगे। इसके तहत सवारियों के साथ बर्ताव के तौर-तरीके बताए जाएंगे। बता दें कि पिछले सप्ताह परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि अब वाहन के फिटनेस परीक्षण के दौरान इस कार्यक्रम का प्रमाणपत्र पेश करना होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम मुफ्त होगा और दो साल के लिए वैध होगा।

इससे पहले परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि अब वाहन के फिटनेस परीक्षण के दौरान इस कार्यक्रम का प्रमाणपत्र पेश करना होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम मुफ्त होगा और दो साल के लिए वैध होगा। इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि बुराड़ी स्थित वाहन निरीक्षण इकाई सुनिश्चित करेगी कि तत्काल प्रभाव से किसी भी पीएसवी वाहन को उसके चालक द्वारा (लैंगिक समानता संवेदीकरण) प्रमाणपत्र नहीं पेश किए जाने पर फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं दिया जाए।


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