दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता 22 अक्टूबर तक बहुत खराब स्तर पर पहुँच जाने की सम्भावना बताई जा रही है, इसी को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQM) ने अधिकरियों को ग्रेडेड रिस्पांस के स्टेप 2 को लागू करने के आदेश दिए है

> प्रदुषण पैदा करने वाले साधनों को करें बंद:-

हमें अपने निजी वाहनों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए और सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए आम नागरिक भी वायु प्रदुषण को कम करने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं वह अपने वाहनों मे एयर फिल्टर को लगवा कर प्रदूषण जैसी समस्या को कम कर सकते हैं इसी को देखत हुए दिल्ली सरकार ने इस बार पटाखों पर बैन लगा दिया है प्रदूषण एक गंभीर समस्या चुका है यह सिर्फ दिल्ली की ही नहीं बल्कि हमारे पूरे देश की एक समस्या बन चुकी है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीव जंतु और निर्जीव पदार्थ भी आ गए है इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना

प्रदूषण के प्रकार:-

दिल्ली में प्रदूषण के कई प्रकार हैं लेकिन उनमें से वायु प्रदूषण मुख्य है जल प्रदूषण,मृदा प्रदूषण आदि

वायु प्रदूषण :-

वायु प्रदूषण को सबसे मुख्य प्रदूषण माना गया है इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों से निकलता हुआ धुआं तथा वाहनों से निकलता हुआ धुआं होता है जिससे वहां रहने वाले लोगों को सांस लेने में मुसीबतों का सामना करना पड़ता है दिन प्रतिदिन बढ़ते वाहनों तथा उद्योगों ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है जिससे शरीर से संबंधित कई रोग उत्पन्न हो गए हैं

प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग के कारण प्लास्टिक भी बढ़ते प्रदूषण का कारण बन रही है प्लास्टिक एक नॉन बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है इसलिए यह पानी और मृदा में विघटित नहीं होती

और नदी तालाबों तथा महासागरों में मिल जाता है जिससे प्लास्टिक से उत्पन्न कचरा चल नदी महासागर तथा तालाबों के पानी को प्रदूषित कर देता है तथा इन्हे बुरी तरह से प्रभावित कर देता है।

> बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के उपाय:-

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा पानी धुँआ आदि के माध्यम से ना केवल मनुष्य बल्कि पेड़-पौधे जीव जंतु तथा वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है इसे रोकने के लिए कारखानों की स्थापना शहरों से दूर करनी चाहिए तथा कारखानों में लगी चिमनी यों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए और उनमे फिल्टर लगा होना चाहिए जिससे अपशिष्ट पदार्थों वायु में ना मिल सके और उद्योगों वाले स्थानों पर पेड़ों की संख्या अधिक होनी चाहिए।

उपसंहार

न्यायालय द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को महानगरों से बाहर ले जाने के आदेश दिए गए हैं आम नागरिक भी अपने ढंग से इन कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान दे और यह संकल्प ले कि जीवन में आने वाले शुभ अवसरों पर कम से कम एक लक्ष्य अवश्य लगाएं तो निश्चित ही प्रदूषण के दुष्परिणाम और से बच सकेंगे और आने वाली पीढ़ियों को भी इस प्रदूषण दुष्परिणामों से राहत मिलेगी।

 

 

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