दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट निर्माण और धन में तेजी के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। केंद्र की प्राथमिकता में शामिल प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच मंगलवार को लगभग 3750 करोड़ के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
हालांकि, एशियाई विकास बैंक रैपिड रेल की इस परियोजना के लिए एक बिलियन डॉलर देगा। सरकार की तरफ से ऋण समझौते पर वित्त मंत्रालय में आर्थिक कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव समीर कुमार खरे और एडीबी के इंडिया रेसिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा ने हस्ताक्षर किए।
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राष्ट्रीय राजधानी परिवहन क्षेत्र निगम के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने कहा कि एनसीआर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। एडीबी के साथ यह समझौता आरआरटीएस परियोजना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस 500 मिलियन डॉलर के ऋण का उपयोग दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के ट्रैक के विद्युतीकरण, मल्टीमॉडल हब और स्टेशन के निर्माण पर किया जाएगा। जिसका डिजाइन वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों के अनुकूल होगा। दिल्ली से मेरठ तक 2025 में रैपिड रेल का संचालन शुरू होगा।
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ये मिलेंगी सुविधाएं
रैपिड रेल चलने के बाद दिल्ली से मेरठ की दूरी एक घंटे से भी कम समय में पूरी होगी। धरातल पर प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। मेरठ के शताब्दीनगर से साहिबाबाद तक पिलर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है।
180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली रैपिड रेल में कई तकनीक पहली बार देश में उपयोग की जाएंगी। इसमें रैपिड रेल कोच का निर्माण गुजरात के सावली में मेक इन इंडिया पहल के तहत किया जा रहा है।
25 बिजली हाईटेंशन लाइनें स्थानांतरित
एनसीआरटीसी ने मोदीपुरम में बनाए जाने वाले डिपो के पास 220 केवी की सिंगल सर्किट बिजली की हाईटेंशन लाइन के स्थानांतरण का कार्य पूर लिया है। कार्य में बाधा बन रही कुल 25 हाईटेंशन लाइनों को अभी तक स्थानांतरित कर लिया गया है।