शनिवार की सुबह भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या के लिए बुरी खबर लेकर आई। कार्डियक अरेस्ट के चलते पिता हिमांशु पांड्या का देहांत हो गया। अपने दोनों बेटों को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। गुजरात के सूरत में वह फाइनेंस का व्यापार करते थे, लेकिन बच्चों की बेहतर क्रिकेट कोचिंग के लिए 1998 में व्यापार बंद कर परिवार संग वडोदरा चले आए।
अपनी मेहनत और ईमानदारी से एक के बाद एक दोनों भाईयों ने भारतीय टीम की नीली जर्सी पहनी। विपरीत हालातों का सामना करके यहां तक पहुंचना किसी भी नवोदित खिलाड़ी के लिए सपने से कम नहीं होगा। सफल होने के बाद हार्दिक ने अपने सारे शौक पूरे किए। अपने पिता को भी वह दुनिया की हर खुशी देना चाहते थे। वन-डे के बाद टेस्ट क्रिकेट में अपने पहले शतक के बाद उन्होंने श्रीलंका से पिता को सरप्राइज दिया था।
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हार्दिक के पिता हिमांशु पांड्या सरप्राइज गिफ्ट देखकर चौंक गए थे। हालांकि, गिफ्ट मिलने के बाद उन्होंने एक और डिमांड भी रख दी थी। दरअसल, हार्दिक के पिता अपने परिवार के साथ अहमदाबाद गए थे, वहां उन्हें लाल रंग की जीप कम्पास पसंद आ गई थी, इसके बाद सेल्समैन ने कार की चाभी पकड़ाते हुए उन्हें कहा कि यह कार अब आपकी है।
हिमांशु पांड्या इससे पहले कुछ समझ पाते बेटे हार्दिक ने श्रीलंका से वीडियो कॉल पर पिता को बताया कि यह कार आपके लिए खरीदी है। बेटे से कार मिलने के बाद हार्दिक के पिता ने स्पेशल नंबर प्लेट की चाहत रखी। हिमांशु पांड्या चाहते थे कि उन्हें बढ़ते क्रम में कार का नंबर मिले। जैसे कि 2425, 2526 और 5152। तब मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘यह हमारी छठी कार है, हमारे पास पुरानी कार हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में हमारे पास चार कार हैं।
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2017 में हुई श्रीलंकाई दौरे में हार्दिक पांड्या ने कमाल का प्रदर्शन किया था, जिसका श्रेय उन्होंने अपने पिता को दिया था। हार्दिक ने अपने पिता को कार सौंपते हुए वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, ‘पिता के चेहरे पर वो भाव देखकर काफी खुशी हुई। मैं इन्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि इन्हें जीवन में हर खुशी मिले। मेरे पिता ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया है। मेरे और भाई क्रुणाल के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है। पिताजी को सरप्राइज देकर मैं थोड़ा भावुक हूं, मेरे वहां ना होने पर मां और भाई वैभव ने इस सरप्राइज का इंतजाम किया।’