दिल्ली की एक अदालत ने मरीजों को कैंसर की नकली दवा सप्लाई करने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि नकली दवाओं का खतरा हत्या या आतंकवाद से कम गंभीर अपराध नहीं है.

 

जज ने कहा, ‘‘नकली दवाओं के खतरे को किसी भी मायने में हत्या या यहां तक कि आतंकवाद जैसे अपराध से कम गंभीर नहीं माना जा सकता है. केवल पैसे कमाने और कैंसर जैसी गंभीर चिकित्सा कठिनाई वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए नकली दवाओं की आपूर्ति का ऐसा खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.

बांग्लादेश स्थित एक कंपनी की गोली बेच रहा था आरोपी

यह तथ्य कैंसर से जूझ रहे मरीजों को नकली दवाएं बेचने और सप्लाई की बड़ी साजिश का हिस्सा होने के उसके इरादे को बयां करता है.’’ उन्होंने कहा कि आरोपी मरीजों को मुख्य आरोपी डॉ. पवित्र प्रधान से इलाज कराने के लिए कहता था, जो नकली दवाओं के निर्माण और सप्लाई करने वाले रैकेट का सरगना था.

जानिए आरोपी ने क्या किया दावा?

आरोपी को 13 नवंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. आरोपी ने यह दावा करते हुए जमानत याचिका दायर की थी कि उसने हाल में बी.टेक पूरा किया है और वह हालात का मारा है. आरोपी ने दावा किया कि मामले में उसे फंसाया गया है. अभियोजन पक्ष ने उसकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि आरोपी ने इंदौर स्थित एक कंपनी के जरिए एक लाख गोलियां खरीदी थीं, जो एक सह-आरोपी ने उससे एकत्र किए थे.

 

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