दिल्ली आबकारी नीति को लेकर बड़ा बदलाव हुआ है। दिल्ली सरकार ने शहर में खुदरा शराब बिक्री की पुरानी व्यवस्था को फिर से बहाल करने का फैसला किया है। इसके तहत 1 अगस्त से दिल्ली में सरकार पूर्व की तरह फिर से शराब बेचेगी।
वहीं, इससे पहले आबकारी नीति 2021-22 को 31 मार्च के बाद दो बार दो-दो महीने की अवधि के लिए बढ़ाया गया था, जो 31 जुलाई को समाप्त हो जाएगी। सरकार इसे अब आगे नहीं बढ़ाएगी। इसका ऐलान दिल्ली सरकार की ओर से किया गया है।
भाजपा-कांग्रेस शुरू से थीं विरोध में
आबकारी नीति 2021-21 का शुरू से ही भाजपा और कांग्रेस ने विरोध किया था। दिल्ली की सड़कों से विधानसभा के सत्र के दौरान भी इस विरोध का असर कई बार देखा गया। भाजपा नेताओं ने अलग-अलग समय पर इस नीति को लेकर उपराज्यपाल से शिकायत की थी।
रिहायशी इलाकों में शराब की दुकान खोलने पर था विरोधी दलों को ऐतराज
रिहायशी इलाकों में शराब की दुकानों के खोले जाने का भाजपा व कांग्रेस के साथ कई जगह आम जनता ने भी विरोध किया था। 17 नवंबर के बाद खोली गईं कई दुकानें कुछ दिन बाद ही विरोध के चलते सरकार ने बंद करा दी थीं। नगर निगम ने नान कंफर्म एरिया में खुल रहीं दुकानों को सील करना शुरू कर दिया था और आज तक कुल 176 दुकानें सील कर दी गईं।
कांग्रेस और भाजपा कई बार कर चुके थे विरोध
आबकारी विभाग ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी। सरकार ने इस नीति से राजस्व बढ़ने का दावा किया था। हर निगम वार्ड में तीन-तीन दुकानें तक खोलनी थीं। सरकार ने इसके पीछे का कारण दिल्ली में शराब की दुकानों का वहां की आबादी के अनुपात में विभाजित करना बताया था।
इससे पहले एक जगह पर आठ-आठ तक दुकानें थीं। इस व्यवस्था को सरकार ठीक नहीं मान रही थी। सरकार का कहना था कि इससे शराब की कालाबाजारी बढ़ रही थी, मगर नई दुकानों को देखते हुए लोगों ने दुकान के बाहर ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
भाजपा-कांग्रेस दोनों ही कर रहे थे शराब की नई नीति का विरोध
राजापुरी, संगम विहार सहित दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लोग दुकान के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे। सरकार बार बार जनता को इस बात का आश्वासन देती रही कि जितनी दुकानें पहले थीं, उससे एक भी अधिक दुकान नहीं खोली जाएगी। दुकानों की संख्या 849 से अधिक नहीं होगी। भाजपा और कांग्रेस इस नीति में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाते रहे हैं।
फंसी तो अब पुरानी व्यवस्था को ही सही मान रही AAP: भाजपा
आरपी सिंह (राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा) का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता कल तक पुरानी आबकारी नीति को भ्रष्टाचार का कारण बताते थे। दावा करते थे कि नई आबकारी नीति से भ्रष्टाचार समाप्त होगा, लेकिन इसकी सच्चाई सामने आ गई है। फंसता देख आम आदमी पार्टी की सरकार अब पुरानी व्यवस्था को ही सही मान रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि नई आबकारी नीति सिर्फ कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर उगाही के लिए बनाई गई थी?
नई आबकारी नीति गले की फांस बन गई : कांग्रेस
मुदित अग्रवाल (उपाध्यक्ष, दिल्ली, कांग्रेस) का कहना है कि फिर से पुरानी आबकारी नीति को लागू करना सरकार की नाकामी और नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार साबित करता है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए नई आबकारी नीति गले की फांस बन गई है, जिसे न उगला जाए और न निगला जाए। कल तक यह दोनों दावा करते नहीं थक रहे थे कि उपराज्यपाल ने जो सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं, उसमें कुछ नहीं निकलेगा। कोई इनसे पूछे कि अब क्या हो गया?
AAP सरकार की हकीकत आई सामने
अभी तो सीबीआइ ने ढंग से जांच शुरू भी नहीं की है और इनकी हालात खराब होने लगी है। अभी तो यह शुरुआत है। आगे आगे देखिए कि इस सरकार के कामकाज में किस हद तक और कहां कहां भ्रष्टाचार निकलता है। इनकी तथाकथित कट्टर ईमानदारी की कलई बहुत जल्द दिल्लीवासियों के सामने खुलने वाली है।