मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना काल के दौरान बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली में दीपावली के अवसर पर किसी भी तरह के पटाखे जलाने पर 7 नवंबर से 30 नवंबर तक पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। 30 नवंबर के बाद भी सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति रहेगी। मुख्यमंत्री ने सरकार के आदेश का शत प्रतिशत पालन कराने की जिम्मेदारी सभी जिलाधिकारियों को दी है। सीएम केजरीवाल ने कहा कि हमने कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और सामान्य बेड बढ़ाने का निर्णय लिया है।

प्राइवेट अस्पतालों में 80 फीसद बेड कोविड मरीजों के लिए सुरक्षित करने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी दिल्ली हाईकोर्ट की रोक को हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है। कोरोना के बढ़ते केस पर लगाम लगाने के लिए अब भीड़भाड़ और मार्केट एरिया में भी कोरोना की जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा, इसके लिए मोबाइल बैन तैनात करने का निर्णय लिया गया है, जहां कोई भी आकर अपनी कोविड जांच करा सकता है।

इससे पहले गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बंगाल में कालीपूजा, दीपावली, जगाद्धात्री पूजा, कार्तिक पूजा और छठपूजा के दौरान पटाखे फोड़ने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। राज्य में पटाखों की खरीद-बिक्री पर भी रोक रहेगी। इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी पटाखों पर भी बैन लगाया जा चुका है।

15(45) दिल्ली मे कल से 30 नवम्बर तक प्रतिबंध की घोषणा, सारे Dm को दी गयीं ज़िम्मेदारी, ख़रीद बिक्री पर भी बैन।

 

दिल्ली हाई कोर्ट से भी बैन लगाने की की गई थी मांग

इससे पहले राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के चलते हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर पटाखे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि इस जनहित याचिका को अर्जी मानकर कानून के दायरे में विचार करें। इस संदर्भ में जो भी नियम, कानून और सरकार की नीति है, उस पर विचार करने के बाद अर्जी पर कोई निर्णय लें।

 

मुख्यपीठ ने कहा था कि चूंकि याचिकाकर्ताओें ने पहले किसी संबंधित विभाग या निकाय को इस तरह की कोई अर्जी नही दी है, ऐसे में इस जनहित याचिका को अर्जी मानते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए। अधिवक्ता चेतन हसिजा और साहिल शर्मा की तरफ से दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए मुख्य पीठ ने कहा कि कोई भी फैसला लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी आदेश को ध्यान में रखा जाए।


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