(भाजपा) ने अपनी पहले की घोषणा पर अब यू-टर्न ले लिया है, जिसमें पार्टी ने लोकप्रिय रूप से मेट्रो मैन के नाम से जाने जाने वाले ई श्रीधरन को विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया था। तिरुवल्ला में पार्टी की विजय यात्रा को संबोधित करते हुए केरल भाजपा के प्रमुख ने  गुरुवार को कहा था कि श्रीधरन मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे। वहीं अब कहा कि इस पर फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा। आइए बताते हैं कि कौन है ई. श्रीधरन, जिनको केरल में मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने पर चर्चा है..

हाल ही राजनीति में कदम रखने वाले मेट्रो मैन श्रीधरन ने नवंबर, 1997 में पहली बार डीएमआरसी की यूनिफॉर्म पहनी थी। आधी सदी से ज्यादा लंबा और शानदार करिअर बिताने वाले मेट्रो मैन का नया प्रोजेक्ट राजनीति है। 22 फरवरी को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। हालांकि, श्रीधरन नरेंद्री मोदी के बहुत पहले से समर्थक रहे हैं। केरल में लव जिहाद, धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर वह खुलकर बोलते रहे हैं। उन्होंने आत्मविश्वास से कहा कि वह किसी भी विधानसभा से चुनाव जीत सकते हैं।

एशिया का हीरो नामित किया 
भारतीय रेलवे में असिस्टेंट इंजीनियर से अपने करिअर की शुरुआत करने वाले श्रीधरन कोंकण रेलवे, कलकत्ता मेट्रो, दिल्ली मेट्रो, कोच्चि मेट्रो के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम किया। टिकाऊ यातायात के लिए यूएन के बनाए उच्च स्तरीय सलाहकार समूह के सदस्य भी रहे हैं। टाइम मैग्जीन ने उन्हें 2003 में एशिया का हीरो नामित किया था। श्रीधरन को एक दर्जन से अधिक मानद डॉक्टरेट उपाधियां और दर्जन भर से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

 

पहला प्रोजेक्ट 46 दिन में ही पूरा किया 
दिसंबर, 1964 को समुद्री तूफान ने पम्बन ब्रिज को तबाह कर दिया था।दुर्भाग्य से उस समय ट्रेन ट्रैक पर थी। इस घटना में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और ब्रिज के 146 में 125 गर्डर जलमग्न हो गए। 32 साल के असिस्टेंट इंजीनियर श्रीधरन को ब्रिज बनाने का काम सौंपा गया। पहले सरकार ने इसे पूरा करने की डेडलाइन छह महीने रखी, बाद में दक्षिण रेलवे ने इसे घटाकर तीन महीने कर दिया। युवा श्रीधरन ने सारी गर्डर बिछाने के साथ मरम्मत का पूरा काम 46 दिन में ही कर दिया। रेलमंत्री को भी इस पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने युवा इंजीनियर को एक हजार रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की।

 

घड़ी को बताया सफलता का फाॅर्मूला
महाराष्ट्र को कर्नाटक और गोवा से जोड़ने वाली अति-महात्वाकांक्षी कोंकण रेलवे देश के सबसे मुश्किल रेलवे प्रोजेक्ट में मानी जाती है। रेलवे से रिटायर होने के बाद सरकार ने उन्हें इसकी जिम्मेदारी सौंपी। प्रोजेक्ट की डेडलाइन 10 साल थी, लेकिन श्रीधरन ने आठ साल में 761 किलोमीटर लंबी, 59 स्टेशन 92 टनल वाली कोंकण रेलवे पूरी की। श्रीधरन से समय के पहले प्रोजेक्ट पूरा करने का राज पूछा गया। तब उन्होंने बताया कि वे हर ऑफिस और साइट पर रिवर्स क्लॉक लगाते हैं। घड़ी डेडलाइन के हिसाब से उल्टी चलती है। इससे लोग जल्दी काम करने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने डीएमआरसी में भी यही फॉर्मूला अपनाया और कोच्चि में भी रिवर्स क्लॉक अपने साथ लाए।

आठ घंटे  से ज्यादा नहीं किया काम : श्रीधरन
श्रीधरन बताते हैं कि उन्होंने पूरी जिंदगी में कभी भी आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं किया। सुबह 4 बजे उठ जाते हैं, नौ बजे से काम शुरू करते हैं और रात 9.15 पर सो जाते हैं। वह कभी भी दफ्तर की फाइल घर लेकर नहीं गए। घर जाकर बच्चों को धार्मिक कहानियां सुनाते हैं। दफ्तर में अपने सहकर्मियों को हमेशा श्रीमद्भभगवतगीता तोहफे में देते और इसके संदेश पढ़कर सुनाते हैं। वह बताते हैं कि भगवद्गीता हमेशा से उनके लिए प्रेरणा रही है, इसे वह धार्मिक किताब से बढ़कर प्रशासनिक सिद्धांतों से भरी किताब कहते हैं।

 

बेदाग छवि के लिए जाने जाते हैं श्रीधरन
श्रीधरन डीएमआरसी के दूसरे फेज तक साथ रहे। इस दौरान समय से पहले काम किया, भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया। यहीं से दुनिया उन्हें मैट्रो मैन के नाम से जानने लगी। श्रीधरन के कारण डीएमआरसी इतना प्रसिद्ध हो गया था कि स्टेनफोर्ड- लंदन यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं के छात्र इसका प्रबंधन देखने आते थे। वह जब डीएमआरसी से रिटायर्ड हुए, तो एक कंपनी ने उन्हें 20 लाख रुपये महीने पर नौकरी का पस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। डीएमआरसी में पार्टटाइमर के रूप में उन्होंने तनख्वाह नहीं ली


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