आजकल युवाओं में वाहनों को माडिफाइ कराकर चलाने का शौक देखने में आ रहा है। अपने इस शौक को पूरा करते समय युवा यह भूल जाते हैं कि वाहन को माडिफाई कराना मोटर वाहन अधिनियम के मुताबिक अवैध है। लोग गाडि़यों को माडिफाई कराने में काली फिल्म, चौड़े टायर, तेज हार्न व सायलेंसर आदि बदलवाते हैं।
नियम के मुताबिक अगर आपने गाड़ी को पेट्रोल या डीजल से सीएनजी में बदलवाया है तो उसके लिए गाड़ी के पंजीकरण में भी बदलाव कराना होगा। ऐसा न करने पर यह अवैध माना जाएगा। ऐसे में वाहन का पंजीकरण भी रद्द हो सकता है। साथ ही नए अधिनियम में तो दस हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी है। इसके बावजूद लोग धड़ल्ले से वाहनों को माडिफाई कराकर चलाते हैं। साथ ही पकड़े जाने पर चालान कटता है तो जुर्माना भी भरते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी मानते नहीं हैं।
हालांकि, यातायात पुलिस की सख्ती के चलते दिल्ली में अब माडिफाई वाहनों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। लेकिन यूपी और हरियाणा के आस-पास के इलाकों के लोग भी दिल्ली में गाडि़यों को माडिफाई कराने आते हैं। साथ ही इसके लिए परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दिल्ली में किसी भी माडिफाई सेंटर को अनुमति नहीं है। वहीं, अगर दिल्ली में वाहनों के माडिफाई होने की बात करें तो यह काम सबसे अधिक मायापुरी इलाके में किया जाता है। इसके साथ ही इंद्रपुरी में भी कुछ एसेसरीज का काम करने वाले लोग गाडि़यों को माडिफाई करते हैं।
वहीं, सोमवार को सिविल लाइन सर्किल यातायात पुलिस द्वारा बुलट में माडिफाई कराकर लगाए गए सायलेंसर को लेकर चालान की कार्रवाई की गई। यातायात निरीक्षक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि शाम के समय दो युवक कश्मीरी गेट इलाके में बुलट लेकर घूम रहे थे, जिसका सायलेंसर माडिफाई होने के कारण अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैल रहा था। उनको पकड़कर दस हजार रुपये का चालान किया गया। वाहन के स्वरूप में किसी भी तरह का परिवर्तन करना नियम विरुद्ध है।
परिवहन विभाग के मोटर वाहन अधिनियम के माडिफिकेशन एक्ट 52 (1) में वर्णित प्राविधान के मुताबिक वाहन के स्वरूप में किसी भी तरह का परिवर्तन कराना अवैध है। अगर कोई ऐसा करता है तो यह पंजीकरण की शर्तो का उल्लंघन माना जाता है। ऐसे में परिवहन विभाग को पंजीकरण रद्द करने का अधिकार है।
मनीष अग्रवाल, संयुक्त आयुक्त यातायात पुलिस (मुख्यालय) का कहना है कि माडिफाई वाहन चलाने वालों के खिलाफ यातायात पुलिस लगातार कार्रवाई करती है। इनमें काली फिल्म चढ़े शीशे, सायलेंसर, गाड़ी के ईंधन का प्रकार बदलवाना आदि शामिल हैं। इस दौरान नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना भी लगाया जाता है।