महिलाओं को सशक्त करने की बात हो या बच्चियों को जागरूक करने की, सामाजिक कार्यकर्ता सोनिया सिन्हा 20 साल में उनकी सशक्त आवाज बनकर उभरी हैं। 42 वर्षीय सोनिया युवावस्था से ही सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यो से जुड़ी रही हैं। उन्होंने महिलाओं पर ¨हसा, गैर बराबरी, लैंगिक विषमता, जातिवादी व रूढ़िवादी ताकतों के विरुद्ध आवाज उठाई तो सामाजिक व सांप्रदायिक सौहार्द पर जोर दिया। इंद्रपुरी की सोनिया झुग्गियों में रहने वाली महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए उन्हें सिलाई-कढ़ाई व अन्य कौशल कार्य सिखाती हैं और रोजगार से जोड़कर उनकी आर्थिक तंगी दूर करती हैं। वे अपने दृढ़ निश्चय से बताती हैं कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को कैसे स्थापित किया जा सकता है।

 

एक हजार से अधिक युवतियों का किया कन्यादान:

कई बार आर्थिक तंगी के चलते कई अभिभावक अपनी बच्चियों की शादी का खर्च वहन करने में असमर्थ रहते हैं। सोनिया ऐसे कई परिवारों की बच्चियों का कन्यादान कर उनकी शादी के सारे खर्चे वहन करने की जिम्मेदारी भी निभाती हैं। उन बच्चियों की शादी के सारे कार्यक्रम भी सोनिया अपने ही घर से करती हैं। इसके साथ ही वे दिल्ली की झुग्गियों में जाकर महिलाओं व बच्चियों को सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती हैं। सोनिया के मुताबिक जब उन्हें पता चला कि गरीबी के चलते आज भी कई परिवार माहवारी के दिनों में सैनिटरी नैपकिन की जगह कपड़े का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को सैनिटरी नैपकिन बांटना शुरू किया और साथ ही यह सुनिश्चित किया कि वे जरूरत पड़ने पर इसी का इस्तेमाल करें, न कि कपड़े का।

 

कथक में बनाना था करियर:

उनकी स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश से हुई है। स्कूली दिनों से उन्हें कथक का शौक था। वे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती थी। हालांकि, यह स्वजनों को पसंद नहीं था। इसलिए यह शौक छूट गया। 18 साल की उम्र में विवाह हुआ। उसके बाद शोषित महिलाओं के हक की आवाज उठाने लगी। पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता दिलाने के साथ उनकी काउंसलिंग कर उनके पुनर्वास पर काम करना शुरू किया। वे बताती हैं कि जब शादी के बाद उन्होंने घर के बाहर कदम रखना शुरू किया तो उन्हें समाज की टीका टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन धुन की पक्की उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। वे कहती हैं कि सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा व अधिकारों के लिए कई कानून बनाए हैं, लेकिन लोक-लाज के कारण कई पीड़ित महिलाएं पुलिस या महिला आयोग की दर तक नहीं जाती। ऐसे में वे ऐसी महिलाओं को नैतिक साहस देकर कानूनी जंग लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।


📰 Latest News For You. 👇

Something went wrong. Please refresh the page and/or try again.

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे hello@delhibreakings.com पर

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *