दिल्ली देश की राजधानी तो है ही, यहां के निवासियों का जीवन स्तर और कमाई भी लगातार बेहतर हो रही है। राष्ट्रीय औसत के मुकाबले दिल्लीवासियों की आय तीन गुना अधिक है। मनीष सिसोदिया ने बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को विधानसभा पटल पर दिल्ली का आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 पेश किया। इस सर्वेक्षण में सामने आया है कि दिल्ली वाले देश के दूसरे राज्यों की तुलना में तीन गुना अधिक कमाते हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत आय जहां 1,27,768 रही, वहीं दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 3,54,004 रुपये है। इसी तरह वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अग्रिम आंकलन 7,98,310 करोड़ रुपये है। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 3.92 फीसद कम है। लेकिन, इसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो देश के अन्य राज्यों में यह संकुचन 8.0 फीसद का है, जबकि दिल्ली में यह केवल 5.68 फीसद है। इतना ही नहीं, पिछले छह वर्ष के दौरान तो दिल्ली के जीएसडीपी में 45 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
वित्त वर्ष 2015-16 के 5,50,804 करोड़ रुपये से बढ़कर मौजूदा वित्त वर्ष में यह 7,98,310 करोड़ रुपये हो गया। दिल्ली में राजस्व वृद्धि का दौर भी लगातार जारी है। 2018-19 में दिल्ली का राजस्व जहां 6,261 करोड़ रुपये था, वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 7,499 करोड़ रुपये पहुंच गया।
जानिये- ये अहम पहलू
- 2020-2021 में सकल राज्य मुल्य संवर्धन में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 1.85 फीसद, द्वितीयक का 13.56 और तृतीयक का 84.59 फीसद रहा
- 2019-20 में 31 मार्च तक बकाया ऋण 34461.83 करोड़ रुपये था। 2011-12 में जीएसडीपी अनुपात 8.61 फीसद था जो 2019-20 में 4.15 फीसद पर आ गया
- 2019-20 के दौरान वित्तीय घाटा 3,227.79 करोड़ रुपये का रहा। 2018-19 के दौरान जीएसडीपी के 0.20 फीसद की तुलना में यह 0.39 फीसद रहा।
- 2020-21 के दौरान भी शिक्षा के लिए 23.83 फीसद बजट रखा गया। इसके बाद परिवहन क्षेत्र के लिए 14.67, स्वास्थ्य के लिए 13.39 व सामाजिक सेवा और कल्याण क्षेत्र के लिए 13.11 फीसद, आवास एवं शहरी विकास के लिए 12.62 फीसद तथा जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए 12.62 फीसद का आवंटन किया गया।