पूर्वकालिक तीनों निगमों में किसी भी वजह से संपत्तिकर जमा न कर पाने वाले रिहायशी एवं व्यावसायिक संपत्ति मालिकों को बड़ी राहत दी गई है। निगम ने आम माफी योजना की घोषणा करते हुए अनधिकृत कालोनियों, अनधिकृत नियमित कालोनियों, लाल डोरा, विस्तारित लाल डोरा, गांवों की विस्तारित आबादी और कश्मीरी प्रवासियों को आवंटित संपत्तियों के निवासियों को रिहायशी संपत्ति पर दो साल का संपत्तिकर जमा करने पर 16 साल का तो गैर रिहायशी में चार साल का संपत्तिकर जमा करने पर 14 साल का बकाया माफ हो जाएगा। इतना ही नहीं इस पर लगने वाला जुर्माना और ब्याज भी नहीं लगेगा। इससे नागरिकों को सहूलियत होगी।
वित्त वर्ष 2021-22 व 2022-23 के संपत्ति कर का ही करना होगा भुगतान
दिल्ली नगर निगम द्वारा जारी आदेश के अनुसार योजना 15 सितंबर से 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगी। निगम के अनुसार उपरोक्त कालोनियों की रिहायशी संपत्तियों के करदाताओं वित्त वर्ष 2021-22 व 2022-23 के संपत्ति कर (केवल मूल राशि) का ही भुगतान करना होगा और वर्ष 2004-05 से 2020-21 तक का बकाया माफ हो जाएगा। इसी तरह इन्ही कालोनियों की गैर रिहायशी संपत्ति मालिको वित्त वर्ष 2022-23, 2021-22, 2020-21, 2019-20 के बकाया संपत्ति कर (केवल मूल राशि) का भुगतान करना होगा। वर्ष 2004-05 से 2018-19 तक का बकाया माफ हो जाएगा।
चेक से भुगतान करने वालों को भी मिलेगा लाभ
निगम के अनुसार इस योजना में उन मामलों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने संपत्तिकर का भुगतान चेक से किया था, लेकिन चेक बाउंस हो गया था। वह नागरिक भी इस योजना का लाभ लें सकते हैं। साथ ही जो संपत्तियां बकाया संपत्तिकर जमा न करने पर अटैच की गई हैं। ऐसे में वह संपत्ति मालिक भी इसका लाभ ले सकते हैं। निगम की योजना के अनुसार नागरिक www.mcdonline.nic.in पर भी संपत्तिकर जमा कर सकते हैं।
कानूनी विवाद में ले लिया जाएगा कर
अगर, संपत्तिकर बकाया का कोई केस किसी भी अदालत में लंबित है या फिर निगम के टिब्यूलन में लंबित हैं तो वह संपत्ति मालिक भी इस आम माफी योजना का लाभ ले सकते हैं। हालांकि उसे एक 10 रुपये स्टांप पेपर पर हलफनामा देना होगा। इसमें यह बताना होगा कि वह इस आम माफी योजना का लाभ लेने के पश्चात अपना मुकदमा वापस ले लेंगे। निगम ने यह भी कहा कि यदि किसी भी समय यह पाया जाता है कि करदाता ने कर की सही राशि जमा नहीं की है या जानबूझकर तथ्यों को छुपाया है, तो यह योजना ऐसे करदाताओं पर लागू नहीं होगी। कंप्यूटर कृत चुने गए 10 प्रतिशत आवेदनों की जांच भी की जाएगी।