यातायात नियमों के उल्लंघन (Traffic Rules Violation) पर पिछले कुछ वर्षों से देशभर में ई-चालान (E-Challan) की व्यवस्था लागू है। मोबाइल या सीसीटीवी कैमरे के एक क्लिक से होने वाले ई-चालान ने ट्रैफिक पुलिस का काम आसान कर दिया है, लेकिन सिस्टम की खामियां आम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रही हैं। वाहन चालक के पास ई-चालान का ऑनलाइन भुगतान के तो कई विकल्प हैं। लेकिन आप गलत चालान के चक्कर में फंसे तो न तो ऑनलाइन कोई मदद मिलेगी और न ही कोई हेल्प लाइन आपकी हेल्प कर पाएगी। लिहाजा आप पुरानी गाड़ी बेचने जा रहे हैं तो संभल जाएं। क्या है सिस्टम की खामियां, क्या बरतें सावधानी और किस तरह की समस्या में फंस सकते है, यहां जानें हर सवाल का जवाब?
ई-चालान : आसान नहीं गलत चालान में सुधार कराना
अगर आपको गलती से किसी और का ई-चालान प्राप्त हो रहा है तो उसे ऑनलाइन सही कराना फिलहाल संभव नहीं है। ऐसा दो स्थिति में हो सकता है। पहला पुलिसकर्मी यातायात नियमो के उल्लंघ पर फोटो किसी और गाड़ी की ले और ई-चालान करते वक्त गलती से आपकी गाड़ी का नंबर डाल दे। ऐसे में आपको ई-चालान का एसएमएस प्राप्त होगा। इस चालान में सुधार कराने के लिए आपको चालान करने वाली ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस जाना होगा। यहां आपसे गाड़ी के पेपर की कॉपी और सुधार के लिए प्रार्थना पत्र मांगा जा सकता है। इसके बाद ट्रैफिक पुलिस अपने रिकॉर्ड में सुधार कर लेगी, लेकिन परिवहन मंत्रालय द्वारा बने केंद्रीयकृत ई-चालान (https://echallan.parivahan.gov.in/) पोर्टल में भी ये सुधार होगा, इसकी गुंजाइश बहुत कम है। स्थानीय पुलिस द्वारा ई-चालान करते ही, ये केंद्रीय पोर्टल पर भी अपडेट हो जाता है। अगर ट्रैफिक पुलिस द्वारा सुधार करने से पहले चालान कोर्ट पहुंच चुका है तो उसे सही कराने के लिए आपको कोर्ट ही जाना पड़ेगा। अगर आप इस गलत चालाना में सुधार नहीं कराते हैं तो कोर्ट से आपको नोटिस मिलना जारी रहेगा।
नोएडा ट्रैफिक पुलिस द्वारा ये ई-चालान 5 अप्रैल 2021 को किया गया था। इसमें गलती से किसी और गाड़ी का नंबर डाल दिया गया। संबंधित व्यक्ति ने इसे नोएडा ट्रैफिक पुलिस के कार्यालय जाकर सही करवाया। बावजूद अब भी उसे बीच-बीच में कोर्ट का नोटिस प्राप्त होता रहता है।
पुरानी गाड़ी बेचने जा रहे तो संभल जाएं
ई-चालान सिस्टम की दूसरी सबसे बड़ी खामी है, गाड़ी के पंजीकरण प्रमाण पत्र (Vehicle Registration Certificate) में गलत मोबाइल नंबर का होना। नई गाड़ी खरीदते वक्त इसकी गुंजाइश काफी कम है। अमूमन ऐसा तभी होता है जब आपने पुरानी गाड़ी बेची और उसे खरीदने वाले ने दोबारा पंजीकरण कराते वक्त अपना मोबाइल नंबर अपडेट नहीं कराया। इस स्थिति में भी आपकी पुरानी गाड़ी का चालान और उससे संबंधित कोर्ट नोटिस आपके मोबाइल पर ही आएगा। इस तरह की समस्या में पुराने वाहन मालिक का मोबाइल नंबर हटाने की कोई ऑनलाइन सुविधा नहीं है।
नोएडा के एक व्यक्ति यह गाड़ी करीब 5 साल पहले बेच चुके हैं। तब से उन्हें इसके चालान के कई अलर्ट और नोटिस मिल चुके हैं। इसे सुधारने के लिए उन्होंने 9 नवंबर 2021 को दिल्ली पुलिस को मेल भी लिखी। जिस पर दिल्ली पुलिस ने 12 नवंबर 2021 को जवाब दिया कि चालान वर्चुअल कोर्ट जा चुका है। अब हम इसमें कोई मदद या हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। अब भी उन्हें इस गाड़ी का चालान और कोर्ट के नोटिस मिलते रहते हैं।
गाड़ी बेचते वक्त लग सकता है झटका
अगर गाड़ी के पंजीकरण प्रमाण पत्र में आपका मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है और आप कुछ समय बाद उसे बेचने जा रहे हैं तो आपको बड़ा झटका लग सकता है। हो सकता है जब आप गाड़ी बेचने जाएं तब आपको पता चले कि उसे कई चालान हो रखे हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब इस तरह के चालान की राशि हजारों में थी। ऐसे में गाड़ी बेचने से पहले आपको वो सारे चालान क्लियर कराने होंगे। गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में आपका सही मोबाइल नंबर अपडेट होना बेहद जारूरी है, ताकि चालान होने पर आपको उसका एसएमएस अलर्ट प्राप्त हो सके।
अपनी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन में खुद अपडेट कर सकते हैं मोबाइल नंबर
अगर आपकी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन में आपका सही मोबाइल नंबर नहीं है तो आप उसे घर बैठे खुद ऑनलाइन अपडेट कर सकते हैं। केंद्रीय पोर्टल वाहन (https://vahan.parivahan.gov.in/vahanservice/vahan/) पर जाकर वाहन जिस राज्य में पंजीकृत हुआ है, उसे सेलेक्ट कर पहले लॉगइन करें। अन्य सेवाओं (Other Services) का विकल्प चुनें। अपडेट मोबाइल नंबर (Update Mobile No) पर क्लिक करें। इसके बाद आप अपनी गाड़ी का नंबर, चेचिस नंबर और इंजन नंबर डालकर अपना मोबाइल नंबर अपडेट कर सकते हैं। वहीं कुछ राज्यों की ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ भी गाड़ी के मालिक द्वारा पंजीकरण में मोबाइल नंबर अपडेट करने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करती हैं।
हेल्प लाइन पर कोर्ट की अवमानना का सुझाव
जागरण संवाददाता ने दिल्ली में हुए एक गलत चालान (जो कोर्ट जा चुका है) को सही कराने के लिए 27 जुलाई की दोपहर 12:00 बजे केंद्रीयकृत वाहन (Vahan) पोर्टल के हेल्पलाइन नंबर 0120-4925505 पर फोन किया। करीब 10 मिनट तक हेल्पलाइन पर हुई बातचीत में बताया गया, ‘चालान में सुधार का फिलहाल ऑनलाइन कोई विकल्प नहीं है। अगर कोर्ट का नोटिस आ रहा है तो उसे नजरअंदाज करें। कुछ नहीं होगा। अगर आपको अपनी पुरानी गाड़ी (जो बिक चुकी है) के रजिस्ट्रेशन में अपना मोबाइल नंबर हटवाना है तो आपको आरटीओ कार्यालय से संपर्क करना होगा।’ इससे पूर्व 11:53 बजे हमने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 011-25844444 पर भी मदद लेने का प्रयास किया। यहां भी हमें कोर्ट के नोटिस को नजरअंदाज करने की सलाह दी गई, लेकिन सुधार का कोई रास्ता नहीं बताया गया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने भी आरटीओ कार्यालय से संपर्क करने का सुझाव दिया। फिर हम दिल्ली परिवहन विभाग की वेबसाइट पर पहुंचे। वहां भी गलत चालान से मोबाइल नंबर हटवाने का कोई विकल्प नहीं मिला। संबंधित आरटीओ कार्यालय का कोई फोन नंबर भी उपलब्ध नहीं था।
वर्चुअल कोर्ट की वेबसाइट पर भी नहीं मिली मदद
अंत में जागरण संवाददाता ने वर्चुअल कोर्ट की वेबसाइट (https://vcourts.gov.in/) से मदद लेने का प्रयास किया। यहां संबंधित गलत चालान के डिटेल पेज पर पहुंचे, जहां सबसे नीचे चार विकल्प दिए हैं। पहला जुर्माना भरने और दूसरा चालान को कोर्ट में चैलेंज करने का। चालान में नाम अथवा मोबाइल नंबर गलत होने संबंधी विकल्प तीन व चार हैं। दोनों में से कोई भी विकल्प चुनने पर गाड़ी का इंजन नंबर और चेचिस नंबर देना अनिवार्य है। साथ ही यहां आपको यातायात नियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति का नाम, उसका मोबाइल नंबर और उस नंबर पर आने वाला ओटीपी भी देना होता है।
अख़बार समूह जागरण संवाददाता जिस गाड़ी के गलत चालान को सही कराने का विकल्प तलाश रहे थे, वह गाड़ी पुरानी गाड़ियां खरीदने वाली एक नामी कंपनी को कई वर्ष पहले बेची जा चुकी है। उस कंपनी ने भी वो गाड़ी किसी और को बेच दी है। ऐसी स्थिति में नियमों का उल्लंघन करने वाला का नाम, मोबाइल नंबर और ओटीपी देना कैसे बिल्कुल संभव नहीं है। वर्चुअल कोर्ट की वेबसाइट पर हमसे संपर्क करें (Contact Us) क्लिक करने पर संबंधित राज्यों की ट्रैफिक पुलिस की ईमेल आईडी की सूची मिलती है। इस मामले में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की हेल्प लाइन पहले ही मदद करने में असमर्थता जता चुकी है। इसके बाद कोर्ट जाकर गलत चालान को रद कराने का ही विकल्प बचता है।