देश की राजधानी दिल्ली के दो करोड़ लोगों को महंगाई का एक बड़ा झटका लगा है। पेट्रोल-डीजल, सीएनजी और घरेलू गैस सिलेंडर के बढ़े दामों के बीच दिल्ली में बिजली की कीमतों में भी इजाफा कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी 10 जून से लागू की गई है।

वहीं, बिजली बिल में इजाफा करने को लेकर दिल्ली सरकार के साथ विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा समेत सभी दल बिजली के दामों में वृद्धि को लेकर मुखर हो सकते हैं। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) बिजली की दरें तय करता है।

पत्रकार संतोष कुमार सिंह के मुताबिक, पिछले महीने 10 जून से ही दिल्ली के उपभोक्ताओं पर बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है। ऐसा करने के पीछे कोयला और गैस के दामों में वृद्धि को बताया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में बिजली बिल में जून के मध्य से ही 2 से 6 प्रतिशत तक का इजाफा किया गया है। बताया गया है कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) की मंजूरी के बाद कोयले और गैस जैसे ईंधन की कीमतों में इजाफा होने के कारण घाटे की भरपाई करने के लिए किया गया  है।

बढ़कर आएगी जून महीने का बिजली बिल

दरअसल, 10 जून से ही सरचार्ज में इजाफा करने के साथ ही इसे लागू भी कर दिया गया है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जुलाई के बिजली बिल में इसका असर दिखेगा।

दिल्ली बिजली नियामक आयोग के 10 जून को जारी एक आदेश के मुताबिक, अतिरिक्त पीपीएसी इस साल 31 अगस्त तक या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा। इस संबंध में डीईआरसी और दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के साथ विपक्ष दलों का बयान अब तक नहीं आया है।

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बता दें दिल्ली में सत्तासीन अरविंद केजरीवाल सरकार लोगों को बिजली में सब्सिडी भी दे रही है, हालांकि 1 अक्टूूबर से यह सब्सिडी उसी को मिलेगी तो इसके लिए बाकायदा आवेदन करेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि बिजली की कीमतों में इजाफा होने के बाद शायद बिजली में सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या में उतनी कमी नहीं आए, जितनी की उम्मीद की जा रही थी।

गौरतलब है कि  बिजली की दरों को लेकर आम जनता, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA), व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों आदि से सुझाव लेने के लिए 12 और 13 मई को आनलाइन जनसुनवाई हुई थी।

बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) बिजली की दरें बढ़ाने की, जबकि आम उपभोक्ता राहत की मांग कर रहे हैं। वहीं, जनसुनवाई के बाद माना जा रहा था कि जून के पहले सप्ताह में नई दरें घोषित हो जाएंगी और आखिरकार ऐसा ही हुआ।


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