कोरोना संकट के बीच दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने राजधानी के औद्योगिक और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को राहत देने की घोषणा की है। लॉकडाउन के दौरान बंद औद्योगिक व व्यापारिक इकाइयों को निर्धारित स्थायी शुल्क में 50 फीसद की छूट दी गई है।

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क्‍या थी व्‍यापारियों की मांग

लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही दिल्ली में सभी औद्योगिक इकाइयां, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अधिकांश कार्यालय बंद हो गए थे। इस वजह से बिजली की खपत भी नहीं हो रही थी, बावजूद इसके उन्हें स्थायी शुल्क से साथ बिल भेजे जा रहे थे। कारोबारी इसका विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि जब बिजली की खपत नहीं हुई तो स्थायी शुल्क वसूलना गलत है। भाजपा भी इसे मुद्दा बना रही थी। पिछले दिनों कारोबारियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी स्थायी शुल्क माफ करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने उन्हें राहत देने का आश्वासन दिया था।

 

क्‍या मिली रियायत

वहीं, डीईआरसी ने बिजली खपत नहीं करने वाले गैर घरेलू उपभोक्ताओं को स्थायी शुल्क में राहत देने की घोषणा कर दी है। इन उपभोक्ताओं से अप्रैल व मई माह के बिजली बिल में 250 रुपये की जगह 125 रुपये प्रति किलो वोल्ट एंपियर के हिसाब से स्थायी शुल्क लिया जाएगा। आयोग ने बिजली वितरण कंपनियों से कहा है कि जिन उपभोक्ताओं से ज्यादा शुल्क वसूला गया है उन्हें अगले बिल में समायोजित किया जाए।

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