कक्षा 10वीं और 12वीं के बाद नौवीं व 11वीं कक्षाओं के छात्रों के लिए भी पांच फरवरी से सभी स्कूल खोले जाएंगे। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को परिपत्र जारी करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल लंबे समय से बंद हैं।
ऐसे में स्कूल छात्रों को वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी, प्रायोगिक परीक्षाओं और आंतरिक परीक्षाओं के लिए पांच फरवरी से स्कूल बुला सकेंगे। हालांकि स्कूल प्रशासन को छात्रों को स्कूल बुलाने के लिए अभिभावकों की अनुमित लेना अनिवार्य होगा। छात्र माता-पिता की सहमति से ही स्कूल आ सकते हैं।
इसके अलावा स्कूल की तरफ से हर एक छात्र का रिकार्ड भी रखा जाएगा, जो स्कूल आएंगे। लेकिन इस रिकार्ड का इस्तेमाल अटेंडेस के लिए नहीं किया जाएगा। वहीं, स्कूलों को निदेशालय द्वारा तय की गई मानक संचालन प्रक्रिया के जरिए ही छात्रों को बुलाना होगा। निदेशालय के मुताबिक छात्रों को स्कूल में वार्षिक परीक्षाओं से संबंधित उचित मार्गदर्शन और आवश्यक सहायता दी जाएगी। प्रधानाचार्यों को प्रायोगिक परीक्षाओं, आंतरिक परीक्षाओं और वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी के लिए टाइम टेबल बनान होगा। इसके साथ ही स्कूलों में छात्रों को बचे हुए पाठ्यक्रम को भी पूरा कराया जाएगा। वहीं, आंतरिक मूल्यांकन के अंको को एमआइएस पर अपलोड करना होगा।
एक मार्च से होंगी कक्षा नौवीं की प्रायोगिक परीक्षाएं, प्रोजेक्ट और आंतरिक मूल्यांकन शुरू हो जाएगा।
- कक्षा नौवीं की 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच आयोजित होंगी मिड टर्म (मध्यावधि) परीक्षाएं
- वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने से पहले करना होगा आंतरिक परीक्षाओं का मूल्यांकन।
- वार्षिक परीक्षाओं का प्रश्न पत्र घटे हुए पाठ्यक्रम के आधार पर ही बनाना होगा।
- कक्षा 11वीं का पीरियाडिक असेसमेंट-1 फरवरी के चौथे सप्ताह, पीरियाडिक असेसमेंट-2 मार्च के तीसरी सप्ताह में आयोजित हो सकता है।
- एक अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच कक्षा 11वीं की होंगी मिड टर्म (मध्यावधि) परीक्षाएं
- कक्षा 11वीं के लिए स्कूल पांच फरवरी से 30 अप्रैल के बीच बहुविक्लपीय मूल्यांकन आयोजित कर सकते हैं।
- कंटेनमेंट जोन के स्कूल नहीं खुलेंगे।
- स्कूल के मुख्य द्वार पर ही हर एक व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य रुप से की जाएगी।
- कक्षा में हर छात्र को छह फुट की दूरी पर बैठना होगा।
- कंटेनमेंट जोन में रह रहे शिक्षक, छात्र व कर्मचारी स्कूल नहीं आएंगे।
- प्रत्येक कक्षा में 12-15 छात्र ही बैठेंगे।
- छात्रों को अपने सहपाठियों से कापी, किताब व अन्य सामग्री नहीं करनी होगी साझा।
- स्कूलों में प्रार्थना सभा व अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियां नहीं होंगी आयोजित।