सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, क्योंकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर खालिस्तान का झंडा फहराने वाले को 125,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है।

97C106Ba3B368C9F00705333479A34D8D7Ba806F80E598F6Eab622Ab3045C42F पूरे दिल्ली में अभी अभी Red Alert, लाल क़िले के पास हो सकती हैं ये झंडा फहराने की कोशिश, इनाम 1,25,000 डॉलर

इसके बाद राजधानी दिल्ली में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 45,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी पहरा देंगे। इसके अलावा लाल किले के चारो ओर पांच किलोमीटर की परिधि में ऊंची इमारतों पर 2,000 से अधिक स्नाइपर्स की तैनाती की जाएगी।

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि ये आतंक पैदा करने के लिए एसएफजे द्वारा किया गया एक प्रयास है। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों ने कहा है कि संदिग्धों पर पैनी नजर रखी जा रही है।

एसएफजे के अटॉर्नी और जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नुन ने सोशल नेटवर्किं ग साइटों पर एक संदेश डाला है, जिसमें भारत के 74वें स्वतंत्रता समारोह में लाल किले पर खालिस्तान का झंडा बुलंद करने वाले किसी भी शख्स को 125,000 अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की घोषणा की गई है। इसके बाद अलर्ट जारी किया गया है।

एसएफजे ने कहा है कि 15 अगस्त सिखों के लिए स्वतंत्रता दिवस नहीं है। एसएफजे नेता ने समुदाय को याद दिलाते हुए कहा, 1947 सिर्फ उनके लिए शासकों की अदला-बदली है। भारतीय संविधान सिखों को हिंदुओं के रूप में लेबल करता है। 1984 में सिखों का नरसंहार किया गया और पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों को अनुचित रूप से गृहित किया जा रहा है।

खालिस्तान समर्थक समूह ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसने 15 अगस्त को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारतीय दूतावासों के सामने स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अपने अलगाववादी एजेंडे ‘रेफरेंडम 2020’ के लिए मतदाता पंजीकरण शिविर आयोजित करने की योजना बनाई है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही इन दूतावासों को अलर्ट पर रहने को कहा है।

इसके अलावा ‘रेफरेंडम 2020’ की वकालत करने के लिए जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित एसएफजे ने चार जुलाई से पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग पोर्टलों के माध्यम से ‘रेफरेंडम 2020’ के लिए अपना ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू करने का प्रयास किया, मगर संगठन कथित तौर पर समर्थन नहीं जुटा सका।

समूह ने पन्नुन के निर्देश पर दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए अपना मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए दो बार कनाडाई साइबरस्पेस का उपयोग किया है, जो पिछले महीने भारत सरकार द्वारा नामित नौ खालिस्तानी कार्यकर्ताओं में शामिल है।

यूएस में रहने वाला पन्नुन ‘रेफरेंडम 2020’ अभियान में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। उसके अमेरिका स्थित कट्टरपंथी खालिस्तान संगठन ने ‘रेफरेंडम 2020’ के अपने एजेंडे का समर्थन करने के लिए भारत और विदेश में रहने वाले सिखों से आग्रह किया है।


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