Khelo India Games में इस बार कई गेम्स हैं शामिल
इस बार सरकार द्वारा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 में थांग ता, कलारीपयट्टू, गतका और मलखंब जैसे कई गेम्स शामिल हैं। इन खेलों को बचाए रखने के लिए सरकार ने इन्हें खेलो इंडिया गेम्स में शामिल किया हैं क्युकिं यह भारत के पारंपरिक खेल हैं। इन खेलों के बारे में आप लोगों ने कम ही सुना होगा।
यह भारत के पारंपरिक खेल हैं और इसलिए सरकार ने इन खेलों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए और देश में इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इन्हें खेलों इंडिया गेम्स में शामिल किया है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022-23 का आयोजन 30 जनवरी से 11 फरवरी के बीच मध्य प्रदेश में किया जायेगा। मध्य प्रदेश कैबिनेट ने हाल ही में भोपाल से खेलों की मेजबानी करने की मंजूरी दे दी है।
शायद ही आपने कभी इन खेलों के मैच देखे होंगे तो चलिए जानते हैं इन games के बारे में पूरी जानकारी –
थांग ता (thang-ta)
थांग ता भारत के मणिपुर राज्य की एक प्राचीन मार्शल आर्ट तकनीक है। थांग ता को Huyen langlon (हुयेन लांगलोन) भी कहा जाता हैं। थांग का अर्थ है तलवार और ता का मतलब है भाला। इस खेल को लगभग 400 साल पहले मणिपुर के राजा-महाराजों ने शुरू किया था। यह खेल अपना अस्तितिव बनाए रखने में सफल रहा।
Kalaripayattu (कलरीपायट्टु)
कलरीपायट्टु भारत के केरल राज्य की एक प्राचीन मार्शल आर्ट है। यह खेल पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। बॉलीवुड अभिनेता विद्युत जामवाल भी कलरीपायट्टु में माहिर हैं। दो लोग मिलकर इस खेल में कलाबाजियों दिखाते हैं। कलारीपयट्टू में महिला और पुरुष दोनों हिस्सा लेते हैं। इस खेल में कुल 16 तरह की फाइट होती हैं। इस खेल में कई तरह की तकनीक होती है, जिसमें मैपयट्टू, वादीपयट्टू , वेरुकैयपरयोगा आदि शामिल है।
Mallakhamba (मलखंब)
मलखंब भारत के मध्य प्रदेश राज्य की एक प्राचीन योग और जिमनास्टिक है। मध्य प्रदेश का राज्य खेल मलखंब भी खेलो इंडिया गेम्स का हिस्सा है। मलखंब एक सीधे खड़े खंबे पर किया गया हवाई योग या जिमनास्टिक का रूप है । इस खेल में लकड़ी के एक खंबे पर खिलाड़ियों को करतब दिखाना होता हैं और इसमें तीन तरह के खेल होते हैं, जिसमें फिक्स्ड मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिए), हेंगिंग मलखम्ब (केवल पुरुषों के लिए), शेप मलखम्ब (महिलाओं के लिए) शामिल है।
Gatka (गतका)
गतका भारत के पंजाब राज्य की एक प्राचीन मार्शल आर्ट है। गतका सिक्खों की पारंपरिक युद्ध कला है और निहंग सिख योद्धाओं की पारंपरिक लड़ाई शैली है। पंजाब में इस खेल का उपयोग आत्म-रक्षा के लिए भी होता है। हथियारों के साथ इसका सिक्खों के धार्मिक उत्सवों में प्रदर्शन किया जाता है। गतका पारंपरिक कपड़ों में तलवार और ढाल के साथ खेला जाता है।