रेलवे स्टेशन से पकड़े गये फर्जी टीटीई से पूर्व यहां से 18 सिक्योरिटी गार्ड भी ड्यूटी करते हुए कुछ दिन पहले पकड़े जा चुके हैं। बीते जुलाई माह में इन गार्डों को तैनात किया गया था। यह गार्ड अजमेरी गेट की तरफ रेलवे स्टेशन के बाहर 15 दिनों तक ड्यूटी देते रहे। इसकी जानकारी जब रेलवे अधिकारियों को मिली तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। इन सिक्योरिटी गार्ड को आरपीएफ के हवाले किया गया था। उन्होंने पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया था।
दिल्ली स्टेशन पर रहे सावधान
सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली स्टेशन पर पर आये दिन लोगों के साथ नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े होते रहते हैं। हाल ही में जिस तरह से फर्जी टीटीई का मामला सामने आया है, इसके बाद रेलवे प्रशासन और आरपीएफ को ज्यादा अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि इस तरह के फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। बीते अगस्त माह में ही रेलवे स्टेशन के बाहर ड्यूटी देने वाले 18 सिक्योरिटी गार्ड को भी इसी तरह के फर्जी मामले में पकड़ा गया था। यह सिक्योरिटी गार्ड भी 15 दिनों तक स्टेशन के बाहर अजमेरी गेट की तरफ ड्यूटी दे रहे थे। रेलवे अधिकारियों को जब इसकी भनक लगी तो पूरे मामले का खुलासा हुआ था।
Security Guard RPF के हवाले
अधिकारियों को ड्यूटी दे रहे सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था कि वह नारायणा स्थित एक सिक्योरिटी एजेंसी के लिए काम करते हैं। उन्हें रेलवे स्टेशन के बाहर ट्रैफिक परिचालन एवं कोविड नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी मिली थी। उन्हें बताया गया था कि रेलवे स्टेशन के आसपास जाम नहीं लगना चाहिए। वहां आने वाले वाहनों को सही से लाइन में खड़ा करवाने की जिम्मेदारी उनकी है। इसलिए वह अजमेरी गेट पर रेलवे स्टेशन के बाहर ड्यूटी दे रहे थे। इसकी भनक जब रेलवे अधिकारियों को मिली तो उन्होंने सिक्योरिटी गार्डों को पकड़ा। सिक्योरिटी कंपनी से जब रेलवे अधिकारियों ने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उन्हें स्टेशन के बाहर सुरक्षा बेहत्तर करने के लिए ठेका मिला है। लेकिन वह इससे संबंधित दस्तावेज पेश नहीं कर सके थे। इसके चलते इन सिक्योरिटी गार्ड को आरपीएफ के हवाले कर दिया गया था।
ड्यूटी करवा कंपनी ने नहीं दिए रुपये
यहां पर एक सप्ताह ड्यूटी करने वाले गगन उपाध्याय ने बताया कि बेरोजगार होने के चलते वह नौकरी तलाश रहा था। उसे पता चला कि नारायणा स्थित प्रियंका सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड में गार्ड भर्ती हो रहे हैं। वह इस कंपनी में गया जहां उसकी नौकरी लग गई। उसे रेलवे स्टेशन पर जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में तैनात किया गया। वहां पर पहले से कई गार्ड नौकरी कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद उन्हें पता चला कि कंपनी के पास वहां काम करने का टेंडर ही नहीं था। संवाददाता ने कंपनी द्वारा दिये गए मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने कॉल नहीं उठाया।
कंपनी ने दिखाया था फर्जी लेटर
सूत्रों ने बताया कि इस कंपनी ने यहां पर गार्ड की ड्यूटी लगाने से संबंधित एक पत्र पेश किया था। यह पत्र उनकी तरफ से रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव को लिखा गया था। इसमें लिखा था कि वह कोरोना को ध्यान में रखते हुए रेलवे स्टेशन पर अपने सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती कर रहे हैं। लेकिन इस पत्र पर किसी रेलवे अधिकारी या रेल मंत्री के हस्ताक्षर नहीं थे। इसके चलते यह पता चला कि कंपनी के पास मौजूद यह दस्तावेज महज फर्जी पत्र है।
फर्जी टीटीई मामले में छापेमारी जारी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि फर्जी टीटीई मामले में उनकी टीमें मुख्य साजिशकर्ता सहित अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। इस फर्जीवाड़े के तार दिल्ली के अलावा पंजाब से जुड़े हुए हैं। इसलिए पुलिस की टीम आरोपियों की पहचान कर उनकी तलाश कर रही है। पुलिस को उम्मीद है कि वह जल्द ही सरगना को गिरफ्तार कर लेंगे। इसके बाद ही यह खुलासा होगा कि वह कितने लोगों से अब तक ठकी कर चुके हैं।