सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि स्टिल्ट पार्किंग के साथ बनाई गई इमारत, जिसकी ऊंचाई 17.5 मीटर है या फिर बिना स्टिल्ट पार्किंग की इमारत जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है, को दिल्ली अग्निशमन विभाग के नियम-27 से छूट दी जाएगी।

8 वर्षों तक लड़ी कानूनी लड़ाई

दिल्ली अग्निशमन विभाग 2010 के नियम-27 में कहा गया है कि स्टिल्ट पार्किग के साथ 15 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाली इमारतों को फायर क्लियरेंस लेना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने इसके लिए करीब आठ वर्ष तक कानूनी लड़ाई लड़ी।

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फैसले से मिलेगी लोगों को राहत

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ के अनुसार, 15 मीटर की सीमा बिना स्टिल्ट वाली इमारतों पर लागू होगी, जबकि स्टिल्ट पार्किग वाली इमारतों की ऊंचाई 17.5 मीटर हो सकती है। इस स्थिति में दिल्ली अग्निशमन विभाग 2010 के नियम-27 से छूट होगी। इस फैसले से कई लोगों को राहत मिलेगी।

याचिकाकर्ता विकास सिंह डिफेंस कालोनी में मकान बनवा रहे थे। शुरू में मकान दो मंजिला बना था। इस दौरान वर्ष 2013 में दिल्ली के मास्टर प्लान में बदलाव किया गया। उसके तहत कहा गया कि बिना स्टिल्ट पार्किंग के 15 मीटर से ऊपर और स्टिल्ट पार्किंग के साथ 17.5 मीटर से ऊपर की इमारत हाईराइज इमारत मानी जाएगी।

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इससे पहले के मास्टर प्लान में बिना स्टिल्ट पार्किंग के 12.5 मीटर और स्टिल्ट पार्किंग के साथ 15 मीटर ऊंची इमारत को हाईराइज इमारत माना गया था। चूंकि विकास सिंह की इमारत की ऊंचाई स्टिल्ट पार्किंग के साथ 16 मीटर थी, इसलिए उन्हें नए मास्टर प्लान के तहत दिल्ली अग्निशमन विभाग एनओसी नहीं दे रहा था।

हाई कोर्ट के बाद ली थी सुप्रीम कोर्ट की शरण

उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां याचिका खारिज हो गई। उसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट गए। अब लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है।

इस मामले में दिल्ली अग्निशमन विभाग के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि उनके पास अभी सुप्रीम कोर्ट का आर्डर नहीं आया है। आर्डर पढ़ने के बाद ही इसपर आगे कुछ कहा जा सकता है।


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