दिल्ली पुलिस (Delhi Police) इन दिनों आइपीएस, दानिपस (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा) और दिल्ली पुलिसकर्मियों की कमी से जूझ रही है। स्वीकृत पदों में भी सभी रैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों के पद काफी समय से रिक्त हैं। कोरोना के कारण दो साल से कोई भर्ती भी नहीं हुई है।
कर्मचारियों पर बढ़ रहा ड्यूटी का दबाव
दुष्प्रभाव यह सामने आ रहा है कि साल दर साल अपराध बढ़ रहा है। अधिकारियों व कर्मियों पर ड्यूटी का दबाव बढ़ रहा है। छुट्टियां नहीं मिल रही हैं जिससे उनकी जीवन शैली पर बुरा असर पड़ रहा है।
स्वीकृत पदों के हिसाब से दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त से लेकर सिपाही तक सभी रैंक के कर्मचारियों की कमी है। कुल 94,255 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में 82,262 की ही तैनाती है। यानी 11,993 अधिकारियों व कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं।
हर साल करीब 3 हजार अधिकारी-पुलिसकर्मी होते हैं रिटायर
मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो दिल्ली पुलिस में हर साल सभी रैंक के करीब तीन हजार अधिकारी व पुलिसकर्मी सेवानिवृत्त हो जाते हैं। इनकी जगह हर साल इतने अधिकारियों और कर्मियों की भर्ती नहीं हो पाती है। भर्ती प्रक्रिया भी कठिन है। प्रक्रिया पूरी होने में करीब तीन वर्ष लग जाते हैं। उसके बाद कई बार ट्रेनिंग सेंटर खाली न होने पर विलंब हो जाता है।
सभी थानों-यूनिटों में कर्मियों की कमी
सभी थानों और यूनिटों में बल की कमी है। गत वर्ष सभी जिलों में एक-एक साइबर अपराध थाना खोल दिया गया। स्पेशल सेल, ट्रैफिक, साइबर सेल, क्राइम ब्रांच आदि यूनिटों को भी विस्तार दिया गया। थानों में तैनात कर्मियों को उक्त यूनिटों में भेजा गया। इससे थानों में कर्मियों की संख्या कम हो गई।
दिल्ली हाई कोर्ट ने बल की कमी पर केंद्र सरकार से मांगा था जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बल की कमी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। पुलिस ने उस समय गृह मंत्रलय को प्रस्ताव भेजकर 52 हजार अतिरिक्त बल मुहैया कराने की मांग की थी।
2016 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लगातार तीन साल तक तीन फेज में 15-15 हजार कर्मियों की भर्ती करने का दावा किया था। एक ही बार 15 हजार कर्मियों की भर्ती हो पाई थी। अब फिर से इस भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत की जाने वाली हैं ताकि दिल्ली में पर्याप्त बल बरकरार रहें.