चुनिंदा रूटों पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे ज्यादा रफ्तार वाली ट्रेनों में निकट भविष्य में सिर्फ वातानुकूलित (एसी) कोच होंगे। अपने नेटवर्क को अपग्रेड करने की योजना के तहत रेलवे यह तैयारी कर रहा है। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता डीजे नारैन ने कहा कि इन ट्रेनों के टिकट सस्ते होंगे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नहीं समझना चाहिए कि सभी गैर वातानुकूलित कोचों को एसी कोच से बदल दिया जाएगा।
वातानुकूलित डिब्बों का होना तकनीकी जरूरत
इस समय अधिकतर मार्गों पर मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे कम है। नारैन ने बताया कि राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी प्रीमियर ट्रेनों को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने की इजाजत है। इन ट्रेनों के डिब्बे 130 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे ज्यादा रफ्तार पर चलने के लिए उपयुक्त हैं। नारैन ने कहा कि 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाए जाने की स्थिति में वातानुकूलित डिब्बों का होना तकनीकी जरूरत है।
ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने पर हो रहा काम
नारैन ने बताया भारतीय रेलवे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की बड़ी योजना पर काम कर रहा है। स्वर्णिम चतुर्भुज पटरियों पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की योजना है। गैर वातानुकूलित डिब्बों के स्थान पर वातानुकूलित डिब्बे सिर्फ उन ट्रेनों में लगाए जाएंगे, जिनकी रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे ज्यादा होगी। 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों में गैर वातानुकूलित कोच बने रहेंगे।