दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली में कैब एग्रीगेटर में शामिल ओला-ऊबर जैसी कंपनियों की नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। इन कंपनियों के नियम तैयार किए जाएंगे और 2030 तक इन्हें सारे वाहन इलेक्ट्रिक में बदलने होंगे। हालांकि, आठ साल का वक्त काफी, लेकिन लापरवाही पर कार्रवाई का खाका भी तैयार किया गया है।
दिल्ली सरकार की वाहन एग्रीगेटर के लिये नीति मसौदे में कैब कंपनियों, खानपान आपूर्ति और ई-कामर्स से जुड़ी कंपनियों को अपने बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को ही रखने का प्रावधान रखा गया है।
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए वाहन एग्रीगेटर मसौदा नीति में इसका जिक्र है। इसके मुताबिक. कैब कंपनियों, खानपान के सामान की आपूर्ति करने वाली और ई-कामर्स डिलिवरी से जुड़ी कंपनियों को एक अप्रैल 2030 तक अपने वाहन बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही रखने अनिवार्य होंगे।
इसके साथ ही इस मसौदा नीति में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों से इतर परंपरागत वाहनों की मौजूदगी पाए जाने पर प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपये की दर से जुर्माना देना होगा।
दिल्ली सरकार ने इस मसौदा नीति पर तीन सप्ताह के भीतर सार्वजनिक राय मांगी है। इसके अलावा इसमें कैब एग्रीगेटर कंपनियों को यात्रियों के साथ गलत बर्ताव करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ कदम उठाने से जुड़े दिशानिर्देशों का भी उल्लेख है।
इसके मुताबिक एक महीने के भीतर अगर किसी ड्राइवर के खिलाफ 15 प्रतिशत या उससे अधिक उपभोक्ता शिकायत करते हैं तो एग्रीगेटर को उसके खिलाफ समुचित कदम उठाने होंगे। इसके अलावा साल भर में 3.5 से कम रेटिंग पाने वाले ड्राइवरों के लिए जरूरी प्रशिक्षण एवं भूलसुधार कदम उठाने का भी जिक्र किया गया है।
इसके साथ ही कैब एग्रीगेटर कंपनियों के बेड़े में शामिल होने वाले नए आटोरिक्शा में से 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन होना जरूरी होगा। चार साल बाद यह अनुपात शत-प्रतिशत हो जाने की भी बात इसमें कही गई है।