राजधानी में ध्वनि प्रदूषण के नियमों के अनुपालन के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण( एनजीटी) की एक कमिटी ने दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को जीरो टालरेंस नीति अपनाने की सलाह दी है। कमेटी ने अनावश्यक हार्न बजाने और माडिफाइड साइलेंसर के उपयोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का सुझाव दिया है। प्राधिकरण को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कमिटी ने कहा कि लगातार यातायात शोर, हार्न बजाना, प्रेशर हार्न और संशोधित साइलेंसर ध्वनि प्रदूषण में एक प्रमुख कारक हैं।

 

प्राधिकरण ने कहा कि वाहनों के शोर को कम करने के वैकल्पिक उपायों जैसे पेड़ लगाना, जागरूकता, टायर और वाहनों की मरम्मत, वाहनों की गति में कमी, सड़कों की स्थिति के साथ ही पटाखे और अन्य शोर करने वाले कारकों पर मुकदमे किए जा सकते हैं।

 

ट्रैफिक पुलिस ने अब तक किए चालान

  • प्रेशर हार्न के इस्तेमाल पर – 331
  • प्रतिबंधित क्षेत्र में हार्न बजाने पर – 30
  • माडिफाइड साइलेंसर लगाने पर – 773
  • गाड़ी में तेज आवाज में संगीत बजाने पर – 59

 

नोडल अधिकारी को योजना बनाने का दिया आदेश

समिति ने नोडल अधिकारी सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट हौज खास को दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण नियमों के अनुपालन की निगरानी करने, माडिफाइड साइलेंसर और प्रेशर हार्न की अवैध बिक्री को बाजारों में रोकने के लिए योजना बनाने का आदेश दिया है। साथ ही धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के कारण ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए, धार्मिक संस्थानों के पदाधिकारियों के साथ ध्वनि उपकरणों के स्व-नियमन के लिए नियमित बैठकें करने का निर्देश दिया है।

 

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ निकायों के अधिकारियों को बनाएं सशक्त

समिति ने सुझाव दिया है कि ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नगर निकायों के अधिकारियों को सशक्त बनाया जाए। इसकी वजह यह है कि राजधानी में स्थानीय और नागरिक निकाय को ध्वनि प्रदूषण नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं है।


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