दिल्ली में मानसून के दौरान जलभराव की होने वाली समस्या शहर की पहचान बनती जा रही है। शासन-प्रशासन के लाख दावों के बावजूद हर साल मानसून के दौरान राजधानी जलमग्न हो जाती है। कभी-कभी यह जलभराव में लोगों की जान तक चली जाती है। इसके मद्देनजर सोमवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर जलभराव रोकने की दिशा में किए जा रहे कार्यो पर चर्चा की।
उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानसून से पहले सभी चिह्न्ति स्थानों पर जलभराव रोकने के कार्य पूरे हो जाने चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि 15 जून से पीडब्ल्यूडी सेंट्रल कंट्रोल रूम भी स्थापित करेगा, जहां से दिल्ली के ज्यादा जलभराव वाले 10 स्थानों की सीसीटीवी कैमरे से 24 घंटे निगरानी की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत 2,064 किमी नाले आते हैं। इसमें से 80 प्रतिशत नालों से गाद निकाली चुकी है। 15 जून तक शेष कार्य भी पूरा हो जाएगा।
पुलप्रह्लादपुर अंडरपास
पुलप्रह्लादपुर अंडरपास पर पिछले साल मानसून के दौरान कई बार जलभराव हुआ था। इस साल यह समस्या न हो, इसके लिए यहां 7.5 लाख लीटर क्षमता का भूमिगत टैंक के साथ 600 हार्स पावर का स्थायी पंप हाउस भी बनवाया जा रहा है। दोनों का 80 प्रतिशत निर्माण हो चुका है। 15 जून तक शेष कार्य भी पूरा हो जाएगा। यहां सात अस्थायी पंप भी लग रहे हैं। मानीटरिंग के लिए सात सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
जखीरा अंडरपास
यहां मानसून के दौरान रेलवे द्वारा बनाए गए अस्थायी कच्चे नाले से बरसात के मौसम में रेलवे लाइन का कचरा अंडरपास में गिरता है। इससे वाटर पंप जाम हो जाते हैं, जिससे जलभराव होता है। इस संबंध में पीडब्ल्यूडी, रेलवे के लगातार संपर्क में है। यहां रेलवे लाइन के कचरे को अंडरपास में गिरने से रोकने के लिए पीडब्ल्यूडी स्क्रीन लगा रहा है। अंडरपास के आसपास के क्षेत्र में ड्रेन के माडिफिकेशन का कार्य भी पूरा हो चुका है। यहां पंप की क्षमता बढ़ाकर 370 हार्स पावर की जा रही है।
मिंटो ब्रिज अंडरपास
एक साल पहले तक मिंटो ब्रिज के नीचे कम बारिश होने पर भी जलभराव हो जाता था। इसे दूर करने के लिए पिछले साल कई ठोस कदम उठाए गए, जिससे अप्रत्याशित बारिश होने पर भी यहां जलभराव नहीं हुआ। इस साल यहां अल्टरनेट ड्रेनेज सिस्टम और आटोमेटिक वाटर पंप भी लगाए जा रहे हैं। ये कार्य 12 जून तक पूरे हो जाएंगे। साथ ही यहां सीसीटीवी कैमरों से मानिटरिंग करने के साथ वाटर लेवल अलार्म सिस्टम भी लगाया जा रहा है।
डब्ल्यूएचओ बिल्डिंग के सामने वाला प्वाइंट
आइपी एस्टेट, डब्ल्यूएचओ बिल्डिंग के सामने रिंग रोड पर जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए नौ पंप लगाए जा रहे हैं। साथ ही 1.5 लाख लीटर का भूमिगत टैंक और पुराने आइपी पावर प्लांट से यमुना तक स्टार्म वाटर ड्रेन का निर्माण चल रहा है जो जल्द पूरा हो जाएगा।