अब कुतुबमीनार परिसर में नमाज नहीं हो सकेगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने कुतुबमीनार परिसर में नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले चार दिन से नमाज बंद है। एएसआइ ने यहां पर नमाज पढ़ने वालों से अनुमति पत्र या इससे संबंधित अन्य कोई दस्तावेज मांगा था, जिसे वे लोग नहीं दे पाए। इसके बाद यहां स्थित मुगलकालीन मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कराया गया है। इस मस्जिद के बगल में ही कुतुबमीनार और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद है, इन्हें लेकर विवाद बढ़ने पर एएसआइ ने यह फैसला लिया है। कुतुबमीनार के अस्तित्व को लेकर विवाद हो रहा है। पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का एक वर्ग इसे चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय का का मान रहा है, जबकि दूसरा वर्ग कह रहा है कि इसे कुतुबद्दीन ऐबक ने 1192 में बनवाया था।
नमाज की अनुमति कब दी गई, किसी को भी नहीं पता
कुतुबमीनार में 2006 के करीब इंजार्च रहे सेवानिवृत्त अधिकारी केके राजदान कहते हैं कि इस मस्जिद में नमाज की अनुमति कब दी गई, यह जानकारी नहीं है। उस समय उन्होंने वहां के इमाम से पूछा था कि अगर उनके पास नमाज पढ़ने की अनुमति का कोई आदेश है तो दिखाएं, मगर वे दिखा नहीं पाए। राजदान ने बताया कि उस समय मस्जिद में पांच से सात लोग नमाज पढ़ने आते थे, मगर धीरे धीरे संख्या 2010 40 के करीब पहुंच गई।