बिजली की दरें तय करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने बृहस्पतिवार से दो दिवसीय आनलाइन जनसुनवाई शुरू की। पहले दिन रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के प्रतिनिधियों और अन्य उपभोक्ताओं ने स्थायी शुल्क, पेंशन अधिभार, बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की पूंजीगत संपत्ति को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने उपभोक्ताओं से ज्यादा स्थायी शुल्क वसूलने का आरोप लगाते हुए राहत देने की मांग की। ऐसा हुआ तो बिजली के दामों में कमी भी आ सकती है।
ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने उपभोक्ताओं से ज्यादा स्थायी शुल्क वसूलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान दिल्ली-2041 के ड्राफ्ट के अनुसार दिल्ली में डिस्काम की बिजली वितरण की कुल क्षमता 7479.01 मेगावाट है। वर्ष 2018 की बिजली टैरिफ के अनुसार दिल्ली के लिए 7989.18 मेगावाट बिजली आवंटित की गई है और यहां अधिकतम मांग 7,409 मेगावाट है। इसके विपरीत डिस्काम उपभोक्ताओं से 22,876 मेगावाट के हिसाब से स्थायी शुल्क वसूल रही है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
यूनाइटेड रेजिडेंट आफ दिल्ली (यूआरडी) के महासचिव सौरभ गांधी ने डिस्काम की पूंजीगत संपत्ति के सत्यापन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आयोग डिस्काम की पूंजीगत संपत्ति का भौतिक सत्यापन नहीं करा रहा है। डिस्काम अपने मन से संपत्ति पर खर्च दिखाती हैं जिससे उनका रेगुलेटरी असेट बढ़ रहा है। यह बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। इसी तरह से सेवानिवृत्त बिजली कर्मचारियों की पेंशन का भार भी उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक मार्च, 2013 के पहले पेंशन ट्रस्ट का कोई जिक्र नहीं था। उसके बाद दिल्ली सरकार के बिजली विभाग के सचिव की लिखित सिफारिश पर डीईआरसी ने पेंशन ट्रस्ट को 400 करोड़ रुपये दे दिए।
उसके बाद से उपभोक्ताओं से पेंशन ट्रस्ट अधिभार वसूला जा रहा है। अबतक उपभोक्ताओं से पांच हजार करोड़ से ज्यादा की राशि वसूली गई है। सौरभ गांधी ने पेंशन ट्रस्ट के खाते की भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) से आडिट की मांग की है।
वहीं, यूआरडी के कार्यकारिणी सदस्य अरुण कुमार दत्ता ने कहा कि वर्ष 2002 में दिल्ली विद्युत बोर्ड की 372 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। डिस्काम अपने हित में इसका उपयोग कर रही हैं। आजतक उसका सत्यापन नहीं हुआ है।
ग्रेटर कैलाश एक आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने कहा कि बिजली पर सब्सिडी लेने या छोड़ने के लिए उपभोक्ताओं से आवेदन लेना अनुचित है। इससे परेशानी बढ़ेगी। सिर्फ सब्सिडी छोड़ने वालों से आवेदन लिया जाना चाहिए।