दिल्ली में ई-बसों की दूसरी खेप भी पहुंच गई है।
इसमें 63 ई-बसें आई हैं, जबकि 62 बसें पहले ही आ चुकी हैं। इन बसों को मिलाकर दिल्ली में 125 बसें आ गई हैं। इनके पंजीकरण का काम अंतिम चरण में है। इस कार्य को शुक्रवार तक पूरा कर लिया जाएगा। अगले सप्ताह से इन्हें सड़कों पर उतारने की तैयारी चल रही है। दिल्ली में अभी दो ई-बसें चल रही हैं। इन्हें मिलाकर दिल्ली में कुल 127 ई- बसें हो जाएंगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन बसों को हरी झंडी दिखाएंगे।
11 साल बाद ये पहली बार होगा जबकि डीटीसी के बेड़े में बसें आएंगी। इन वातानुकूलित बसों के सड़कों पर उतरने से गर्मी के इस मौसम में दिल्ली की जनता को आवागमन में काफी सुविधा मिल सकेगी। मुख्यमंत्री केजरीवाल की अध्यक्षता में 27 मार्च 2021 को हुई कैबिनेट की बैठक में डीटीसी के बेड़े में 300 लो फ्लोर इलेक्टिक एसी बसों शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। कैबिनेट के अनुसार पहली बार इतनी बड़ी संख्या में इलेक्टिक बसें शामिल करने वाला दिल्ली पहला राज्य है।
डीटीसी की ओर से अक्टूबर 2019 में पहला टेंडर जारी किया गया था, लेकिन इसे रद कर दिया गया। जून 2020 में दूसरे टेंडर को भी प्रतिस्पर्धी दरें न मिलने की वजह से रद कर दिया गया। तीसरी बार दिसंबर 2020 में टेंडर जारी किया गया, जिसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है। डीटीसी के बेड़े में शामिल होने वाली बसों का संचालन ओपेक्स माडल पर किया गया है।
बिजली से चलने वाली 300 इलेक्टिक बसों के परिचालन के लिए मेसर्स जेबीएम और मेसर्स टाटा मोटर्स की बसें चलेंगी। टेंडर की शर्तों के अनुसार मेसर्स जेबीएम 200, जबकि टाटा को 100 बसों का संचालन करने का काम मिला है। एक बार पूर्ण तौर पर चार्ज होने पर बसें कम से कम 120 किमी की दूरी तय कर सकेंगी। आपरेटर 10 साल तक बसों या बैटरी के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगे। आपरेटर समय पर बैटरी बदलने के लिए बाध्य होगा।
अन्य सारे साधनो से हैं सस्ता.
इलेक्ट्रिक AC बस अन्य सारे साधनो के मुक़ाबले प्रति KM के दर से सबसे सस्ता हैं. बसो में सरकारी पास भी कार्य करते हैं जिसके कारण मुफ़्त में लड़कियों, औरतों, मज़दूरों को सफ़र का मौक़ा मिलता हैं.