नए साल में दिल्ली सरकार 10 साल पुराने अपने यहां पंजीकृत सभी डीजल वाहनों का पंजीकरण रद कर देगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुपालन में ऐसा किया जा रहा है। अपने यहां रजिस्ट्रेशन रद करने के बाद वो ऐसे वाहन मालिकों को एक एनओसी जारी कर देगी जिससे वो अपनी इस पुरानी गाड़ी को ले जाकर देश के किसी अन्य हिस्से में उसका रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे।

 

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ही एनजीटी ने पहले ऐसा आदेश जारी किया था, अब सरकार को उस पर अमल करना है। इसके लिए दिल्ली सरकार की तरफ से भी पहल की गई है। हालांकि, दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा इस सप्ताह के शुरू में जारी एक आदेश के अनुसार, डीजल वाहनों के लिए कोई एनओसी जारी नहीं किया जाएगा, जिन्होंने इसके लिए आवेदन करने की तारीख को 15 साल या उससे अधिक समय पूरा कर लिया है।

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इससे पहले एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण रद करने के अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है। एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उनके आदेश के खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है। जो वाहन इस दायरे में आ रहे होंगे उनको सड़क से हटाना होगा या फिर वाहन स्वामी अपने इस वाहन का एनओसी लेकर उसे दूसरे प्रदेश में ले जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। पहले डीजल के वाहनों को हटाने के बाद सरकार पेट्रोल के 15 साल पुराने वाहनों का भी रजिस्ट्रेशन रद करने की दिशा में कदम उठाएगी। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।

मालूम हो कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के पंजीकरण और चलने पर प्रतिबंध से संबंधित निर्देश जारी किए हैं। जुलाई 2016 में एक आदेश में, ट्रिब्यूनल ने कहा कि 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों के पंजीकरण के लिए उनके निर्देश का प्रभावी ढंग से और बिना किसी चूक के अनुपालन किया जाएगा।

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परिवहन विभाग के आदेश में कहा गया है कि उन वाहनों का पंजीकरण रद कर रहा है जिन्होंने अपना जीवनकाल पूरा कर लिया है। इसमें कहा गया है कि 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के लिए देश में कहीं भी एनओसी जारी की जा सकती है। हालांकि, यह इस शर्त के अधीन होगा कि उन स्थानों के लिए एनओसी जारी नहीं किया जाएगा, जिन्हें राज्यों द्वारा पुन: पंजीकरण के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता है।

परिवहन विभाग के आदेश में कहा गया है कि मालिकों के पास अपने 10 साल पुराने डीजल या 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का विकल्प भी होगा यदि वे उनका उपयोग जारी रखना चाहते हैं। उन्हें ऐसे वाहनों को विभाग द्वारा नियुक्त की गई एजेंसियों के माध्यम से पैनल में शामिल इलेक्ट्रिक किट के साथ फिर से लगाना होगा। अन्य सभी मामलों में, 10 साल से अधिक पुराने (डीजल) और 15 साल पुराने (पेट्रोल) वाहनों को स्क्रैप करने का एकमात्र सहारा होगा। फिलहाल परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की टीम ऐसे वाहनों को जब्त कर अधिकृत वेंडरों द्वारा स्क्रैपिंग के लिए भेज रही है।

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