जल्द ही उत्तर रेलवे में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पटरी पर उतरेगी। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित ऊर्जा के इस्तेमाल के क्षेत्र में भारतीय रेल का यह बड़ा कदम होगा। अब तक कुछ ही देशों में हाइड्रोजन से ट्रेन चलाने का सफल परीक्षण हुआ है। अब भारत भी इनमें शामिल हो जाएगा।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि हाइड्रोजन से रेल परिचालन से कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। जर्मनी और पौलेंड में इस ईंधन से ट्रेन चलाने का परीक्षण किया गया है। भारत में डीएमयू (डीजल मल्टिपल यूनिट) में इस ईंधन के इस्तेमाल का फैसला किया गया है।
शुरुआत में दो डीएमयू रेक में इसके अनुरूप बदलाव किया जाएगा। सबसे पहले जिंद-सोनीपत रेलखंड (89 किलोमीटर) पर हाइड्रोजन से डीएमयू चलेगी। इसके लिए भारतीय रेल वैकल्पिक ईंधन संगठन (आइआरओएएफ) ने निविदा आमंत्रित की हैं। 17 अगस्त एवं नौ सितंबर को निविदा पूर्व बैठक आयोजित होगी। प्रस्ताव देने की तिथि 21 सितंबर और निविदा खुलने की तिथि पांच अक्टूबर निर्धारित की गई है।
हाइड्रोजन से डीएमयू चलाने से प्रत्येक वर्ष ईंधन पर खर्च होने वाले 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष 11.12 किलो टन कार्बन फुटप्रिंट और 0.72 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन भी रुकेगा। अधिकारियों ने बताया कि यदि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आने वाले दिनों में अन्य डीएमयू को इस तकनीक से चलाने के लिए काम किया जाएगा।
भारतीय रेल ने वर्ष 2030 तक प्रदूषण मुक्त रेल चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में उत्तर रेलवे द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। रेलवे लाइन के विद्युतीकरण के काम में तेजी लाई जा रही है। ट्रेन परिचालन में सीएनजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।