मां-बाप के जीवन में दो मौके सबसे अहम होते हैं। पहला- जब वे बच्चे को जन्म देते हैं और दूसरा जब बच्चे अपने पैरंट्स को गर्व महसूस कराते हैं। आज मान्या के पिता के जीवन में भी ऐसा ही पल आया है। मान्या फेमिना मिस इंडिया 2020 की रनरअप चुनी गई हैं। उनके पिता ओम प्रकाश सिंह ऑटोरिक्शा ड्राइवर हैं। आज वह अपनी बेटी के लिए बेहद खुश हैं। वह कहते हैं कि तो क्या हुआ वह विजेता बनने से एक कदम चूक गई, मेरी बेटी ने तो उनकी जिंदगी सार्थक बना दी। वह कहते हैं कि मान्या की तमन्ना सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने की है।

 

एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में मान्या के पिता ओम प्रकाश सिंह कहते हैं, ‘वह मॉडलिंग, नौकरी, पढ़ाई और जिम सब एक साथ करती थी। इतनी मेहनत की कि उसके हाथ में छाले पड़ गए थे। उसी हाथों से जब उसने क्राउन को छुआ था तो आंसू निकल आए। हम सब भी उसके साथ रोने लगे।’ हमारे लिए यह पल कभी न भूलने वाला है। उसने आज हम सभी को प्राउड फील कराया है।’

अपने पिता के साथ मान्या

अपने पिता के साथ मान्या

‘तब गेटमैन ने बाहर से ही लौटा दिया था’
ओपी सिंह आगे कहते हैं, ‘मान्या ने 6-7 साल पहले ही तय कर लिया था कि उसे मिस इंडिया बनना है। एक दौर ऐसा भी आया था, जब वह प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई थी लेकिन गेटमैन ने बाहर से उसे वापस कर दिया था। यह निराश कर देने वाला था लेकिन वह इससे टूटी नहीं बल्कि लगातार मेहनत करती रही। उसने तय कर लिया था कि एक दिन यहां जरूर जाऊंगी। आज मेरी बेटी लक्ष्य को पाने से एक कदम पीछे रह गई है लेकिन फिर भी वह खुश है और मैं भी बहुत खुश हूं।’

 

 

‘जो दूर के रिश्तेदार थे, वह आज नजदीक का रिश्ता जोड़ते हैं’
ओपी सिंह आगे कहते हैं, ‘जो लोग पास नहीं आते थे, दूर का रिश्ता जोड़ते थे, अब वे भी नजदीक का रिश्ता जोड़ने लगे हैं। यूपी के देवरिया के बैतालपुर ब्लॉक के विक्रम विशुनपुर गांव में जन्मीं मान्या ने लोहिया इंटर कॉलेज से 2014 में दसवीं की परीक्षा पास की। मान्या का परिवार कुशीनगर के हाटा स्थित मकान में भी कुछ समय के लिए रहा। इसके बाद वह मुंबई आ गए। यहां वह कांदिवली में किराये के घर में रहते हैं।

25 साल से चला रहे हैं ऑटो
मान्या को ओपी सिंह मुंबई में ऑटोरिक्शा चलाते हैं। 25 साल से ऑटो चला रहे हैं। 10 वीं के बाद आगे की पढ़ाई मान्या ने मुंबई से ही की। ठाकुर कॉलेज ऑफ साइंस से बैंकिंग ऐंड इंश्योरेंस से ग्रैजुएशन किया है। ओपी सिंह बताते हैं, ‘मान्या की तमन्ना आगे एमबीए करने की थी लेकिन कॉलेज की फीस 12 लाख रुपये थी और हम इतने रुपये देने में सक्षम नहीं थे। उम्मीद है कि अब उसे आगे अपनी इच्छाएं पूरी करने का मौका मिलेगा।’


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