अंग्रेजों की बनाई IPC को खत्म करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिसमें 161 साल पुरानी दंड संहिता यानी आईपीसी को रद्द करने और नई संहिता बनाने का आदेश देने की गुहार लगाई गई याचिका में ये भी कहा गया है कि 1860 में लॉर्ड मैकाले की बनाई आईपीसी के कुछ प्रावधान अलग अलग राज्यों में अलग अलग हैं. इसमें एकरूपता होनी चाहिए.

बीजेपी नेता ने दी यह याचिका

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की इस जनहित याचिका के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संविधान और मौलिक अधिकारों का संरक्षक है. इसी भूमिका के नाते वह भारत के विधि आयोग को भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित घरेलू और आंतरिक कानूनों का परीक्षण करने और छह महीने के भीतर कठोर व व्यापक भारतीय दंड संहिता का का मसौदा तैयार करने का निर्देश दे सकती है.

याचिका में कहा गया है

इसके बिना कानून के शासन और जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता और गरिमा को सुरक्षित और सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है. याचिका के मुताबिक अगर यह मौजूदा आईपीसी थोड़ा भी प्रभावी होती तो स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं बल्कि कई अंग्रेजों को सजा मिलती. वास्तव में आईपीसी, 1860 और पुलिस अधिनियम, 1861 बनाने के मुख्य कारण 1857 की तरह होने वाले किसी भी जन विद्रोह को रोकना था.

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