दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली में आरटी-पीसीआर के माध्यम से कोरोनोवायरस के परीक्षण की दर रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) के माध्यम से किए जा रहे परीक्षण की तुलना में “बहुत कम” बनी हुई है। इस बीच दिल्ली सरकार ने राजधानी में आरटी-पीसीआर परीक्षण रैंप पर कोविड -19 विशेषज्ञ समिति के फैसले के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए और समय मांगा।
जस्टिस हेमा कोहली और सुब्रमोनियम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने पाया कि राज्य द्वारा 14 सितंबर से 27 सितंबर के बीच एक ही दिन में आरटी-पीसीआर और इसी तरह की अन्य परीक्षण विधियां का उच्चतम स्तर 11,417 था जो 26 सितंबर के दिन रिकॉर्ड हुआ था। अदालत ने कहा कि ये संख्याएँ देखी जा रही हैं, प्रत्येक दिन और आरटी-पीसीआर के माध्यम से परीक्षण 27 सितंबर को 7,672 पर गिर गया है।
“आप अपनी परीक्षण क्षमता को क्यों बर्बाद कर रहे हैं,” आरएटी-पीसीआर परीक्षण के आंकड़े आरएटी के साथ तुलना में “दयनीय” हैं जो प्रत्येक दिन औसतन 45,000 से अधिक हो रहे हैं। अदालत ने अपने आदेश में नोट किया कि आरटी-पीसीआर परीक्षण का स्तर बढ़ाने के बारे में पहले ही बहुत जोर दिया गया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली में अभी लगभग 14,000 और आरटी-पीसीआर परीक्षणों की क्षमता है जिसकी पूर्ति नही की जा रही।
दिल्ली के अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने अदालत को कहा कि 28 सितंबर को विशेषज्ञ समिति से उन्होंने मुलाकात की और आरटी-पीसीआर परीक्षण, संपर्क ट्रेसिंग और उन क्षेत्रों से संबंधित मापदंडों के बारे में विचार-विमर्श किया जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अदालत को बताया गया कि उनकी रिपोर्ट 7-10 दिनों में आएगी और फैसले के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए दो सप्ताह का समय चाहिए। सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि कोविड परीक्षण रणनीति पर अपने निर्णय में विशेषज्ञ समिति मोहल्ला क्लीनिक और सामुदायिक केंद्रों के माध्यम से होने वाले परीक्षण का भी ध्यान रखेगी।