दिल्ली मेरठ के बीच हाई स्पीड सफर का आनंद लेने के लिए तैयार की जा रही दिल्ली- गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कोरिडोर के निर्माण ने रफ्तार पकड़ ली है। इस 82 किलोमीटर लंबे कोरिडोर पर 15 किलोमीटर से अधिक के हिस्से पर पिलर निर्माण का काम पूरा हो चुका है। यह पूरे कोरिडोर का करीब 20 फीसदी हिस्सा है।

 

एनसीआर परिवहन निगम से मिली जानकारी के अनुसार 15 किमी के हिस्से में लगभग 533 पिलर लगाए गए हैं। इन पिलरों पर आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) वायडक्ट, जिस पर ट्रेन चलती है, का लगभग 3.5 किमी हिस्सा भी निर्मित हो चुका है। वहीं अन्य बचे हुए हिस्से पर तेजी से काम किया जा रहा है। 10 लॉन्चिंग गैंट्रीज (तारिणी) आरआरटीएस वायडक्ट के बाकी हिस्सों के लिए काम कर रहे हैं।

 

82 किमी लंबे दिल्ली-मेरठ कोरिडोर के निर्माण में तेजी लाने के लिए एनसीआरटीसी ने दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड, बीएसईएस, भारतीय रेलवे, पावरग्रिड, पावर लिंक सहित अन्य विभागों के सहयोग से अब तक 32 ईएचटी लाइनों के स्थानांतरण का काम भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। बता दें कि साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक और 2025 तक पूर्ण कोरिडोर को शुरू करने का लक्ष्य है।

तैयार हुए चार स्टेशन

साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी प्राथमिकता खंड पर साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलदार और दुहाई चार स्टेशनों का फाउंडेशन कार्य पूरा हो चुका है। इन स्टेशनों के लिए सुपरस्ट्रक्चर का निर्माण कार्य जारी है।

 

17 किमी प्राथमिकता वाले खंड में से 16 किमी स्ट्रेच का आरआरटीएस वायडक्ट के फाउंडेशन का कार्य भी अब लगभग पूरा हो चुका है। दिल्ली के साथ-साथ मेरठ के अन्य स्टेशनों के फाउंडेशन का काम भी शुरू कर दिया गया है। इनका डिजाइन और आर्किटेक्चर कार्य अंतिम चरण में है।

 

यमुना पर बनाया जाएगा 17वां पुल

दिल्ली मेरठ के बीच तैयार हो रहे रैपिड रेल कोरिडोर के तहत यमुना नदी पर 17वां पुल बनाया जाएगा। इस पुल को बनाने का काम भी शुरू हो गया है। एनसीआर परिवहन निगम के अनुसार यमुना नदी पर 1.35 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण होगा। यह यमुना नदी पर आने वाला 17 वां पुल होगा।

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