लैंड पूलिंग पालिसी को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली डेवलपमेंट (डीडी) एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है। संशोधन के जरिये सरकार द्वारा मैंडेटरी लैंड पूलिंग का प्रविधान जोड़ने जा रही है। इसके अनुसार यदि किसी चयनित क्षेत्र में 70 प्रतिशत डेवलपमेंट एरिया के मालिक अपनी जमीन लैंड पूलिंग पालिसी में देने के लिए सहमत होते हैं, तो फिर वहां रहने वाले सभी लोगों को अपनी जमीन लैंड पूलिंग पालिसी में देनी होगी।
इसके साथ ही एक प्रस्ताव यह भी है कि अगर 70 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा पूरी नहीं होती है, तब भी सरकार के पास मैंडेटरी पूलिंग घोषित करने का शक्ति होगी। फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) में भी बदलाव करने पर विचार चल रहा है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों की मानें तो लैंड पूलिंग पालिसी को फाइलों से जमीन पर लाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए ही ये बदलाव करने पड़ रहे हैं।
बता दें कि डीडीए की अति महत्वाकांक्षी लैंड पूलिंग पालिसी साढ़े तीन साल से कछुआ चाल से चल रही है। एक्ट में रस्तावित बदलावों के अनुसार जिन लोगों को अनिवार्य रूप से अपनी जमीन देनी है, उन्हें किसी अन्य जगह पर वैकल्पिक जमीन मिलेगी।
दरअसल, वर्तमान में दिल्ली में लैंड पूलिंग पालिसी एक स्वैच्छिक भागीदारी स्कीम की तरह है। यानी, किसी भी जमीन मालिक को इस पालिसी में आने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस समय एकसमान प्लानिंग, सेवाओं और विकास के लिए कई भू-स्वामियों को और डेवलपर संस्थाओं को मिलाकर पंजीकृत समूह बनाया जाता है।
केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्रालय ने 11 अक्टूबर, 2018 को लैंड पूलिंग पालिसी अधिसूचित की थी। शुरुआती दौर में इस पालिसी में कुछ गांवों की जमीन को शहरी ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा नहीं होने के कारण योजना में नहीं लाया गया था। लेकिन, बाद में 109 सेक्टरों में विभाजित कर इस पालिसी को छह जोन में बांट दिया गया। योजना के अंतर्गत दिल्ली में 17 लाख घर बनाए जाने हैं।
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित बदलावों के बाद उम्मीद की जा रही है कि यह पालिसी भी रफ्तार पकड़ेगी और दिल्ली में अपने घर का सपना देख रहे लोगों का सपना भी साकार होगा।उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े तीन साल में डीडीए ने लैंड पूलिंग पालिसी को लेकर खूब प्रचार-प्रसार किया।
इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बैठकें भी आयोजित की गई। किसानों, डेवलपर और प्रमोटर्स के समूह में वार्ता के कई दौर रखे गए। कुछ शर्तो और एफएआर में बदलाव भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद डीडीए को दस हजार हेक्टेयर भूमि भी हासिल नहीं हो सकी। डीडीए इस पालिसी में पंजीकरण के लिए पांच बार तारीख बढ़ा चुका है।
गौरतलब है कि आखिरी बार 10 दिसंबर, 2021 से 28 फरवरी, 2022 के बीच पालिसी के लिए पंजीकरण हुए थे। अब तक सिर्फ 7619.95 हेक्टेयर जमीन ही पंजीकृत हो पाई है।
मनोज जोशी (सचिव, केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय) का कहना है कि लैंड पूलिंग पालिसी के लिए एक्ट में बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार है। चूंकि इस बाबत संसद की स्वीकृति जरूरी है, इसलिए संसद सत्र का इंतजार है। उम्मीद है कि इन बदलावों के बाद इस पालिसी की सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी और इस पर क्रियान्वयन की दिशा में काम आगे बढ़ पाएगा।