दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी कर्मचारियों को वेतन भगुतान नहीं करने को लेकर तीनों नगर निगमों के पार्षदों और अधिकारियों से नाराजगी जताई है। कोर्ट ने गुरुवार की सुनवाई में यहां तक कह दिया कि अगर ऐसे मामलों में नेताओं और अधिकारियों की पिटाई हो जाए तो उस हैरानी नहीं होगी।
कोर्ट ने अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए कहा, ‘अगर चीजें नहीं बदलती हैं और ऐसे ही चलता रहा तो उसे हैरानी नहीं होगी कि इन सबमें शामिल नेताओं और लोगों को जनता मिलकर पीटना शुरू कर दे।’ उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि नगर निगमों और स्थानीय निकायों के बकाया कर्ज के एवज में उनसे लिए गए धन को 2 सप्ताह के भीतर उन्हें लौटाया जाए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार से, दिल्ली सरकार द्वारा ऐसे हालात में ऋण में कमी लाना उचित नहीं है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब पिछले तीन साल से अधिक समय से नगर निगमों द्वारा कर्ज की भरपाई की बात पर विचार चल रहा है।’
पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘अपने नेताओं को बताएं कि उन्हें परिपक्व होना पड़ेगा और इन सबसे ऊपर उठना होगा। अगर चीजें नहीं बदलतीं और ऐसे ही चलता रहा तो हमें हैरानी नहीं होगी, यदि इसमें शामिल नेता और लोगों को जनता सरेआम पीटना शुरू कर दे।’
न्यायमूर्ति सांघी ने कहा, ‘मैं बता नहीं सकता कि हम आप सभी (दिल्ली सरकार और नगर निगमों) से कितने खिन्न हैं। आपको कर्मचारियों की कोई फिक्र नहीं है। आप पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं और आपको गरीब कर्मचारियों तथा सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों के बारे में बिल्कुल चिंता नहीं है।’
पीठ उत्तर, पूर्वी और दक्षिण दिल्ली नगर निगमों द्वारा अपने विभिन्न श्रेणी के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को वेतन का भुगतान नहीं किये जाने से संबंधित अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।