केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सफदरजंग अस्पताल में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के वायरल लोड जांच की सुविधा शुरू हो गई है. यह जांच बहुत महंगी होने के कारण दिल्ली के कुछ चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में ही इसकी सुविधा है। इससे ज्यादातर मरीज निजी लैब में महंगे खर्च पर जांच कराने को मजबूर होते हैं। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. बीएल शेरवाल ने कहा कि अस्पताल में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों के वायरल लोड की जांच निश्शुल्क की जाएगी।
कभी नही ख़त्म होता हैं ये वाइरस
देश में करीब चार प्रतिशत लोगों को हेपेटाइटिस बी और एक से डेढ़ प्रतिशत लोगों को हेपेटाइटिस सी की बीमारी है। मौजूदा समय में इन दोनों बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन हेपेटाइटिस बी से पीड़ित मरीज के शरीर से वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। दवाओं से वायरस को दबाकर और उसके लोड को कम करके रखा जा सकता है। इसलिए वायरल लोड जांच जरूरी होती है। इसके आधार पर दवा देकर वायरस के लोड को कम करके रखा जा सकता है। इसलिए समय-समय पर इस जांच की जरूरत पड़ती है। पहले अस्पताल में यह सुविधा नहीं थी. इससे मरीजों को बाहर निजी लैब में जांच करानी पड़ती थी।
AIIMS में लगता हैं 1500 रुपया
अब माइक्रोलाजी विभाग में 21 अक्टूबर को हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के वायरल लोड की जांच शुरू कर दी गई हैवायरल लोड का पता लगाने के लिए क्वांटिटेटिव आरटी-पीसीआर जांच होती हैनिजी डायग्नोस्टिक लैबों में यह जांच चार हजार रुपये से लेकर साढ़े सात हजार रुपये तक में होती है। एम्स, दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल और यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में यह जांच की सुविधा पहले से है। एम्स में इस जांच का शुल्क करीब 1500 रुपये है। आइएलबीएस में भी इस जांच का शुल्क निर्धारित है। इसके अलावा दिल्ली के अन्य किसी सरकारी अस्पताल में इसकी जांच नहीं होती है. जीबी पंत सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में लिवर की बीमारियों के इलाज के लिए गैस्ट्रोलाजी विभाग है, लेकिन इसमें भी यह जांच नहीं होती है।