बारापुला एलिवेटेड कारिडोर फेज-तीन के लिए जल्द जमीन मिलने की उम्मीद जगी है। लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव का चार्ज सभालने के बाद एच. राजेश प्रसाद ने इस परियोजना पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। इस परियोजना के बचे हुए भाग की जमीन के लिए विभाग ने अब हर माह राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करने की योजना बनाई है। यह परियोजना करीब आठ एकड़ जमीन न मिल पाने के कारण अधर में लटकी है।
जमीन न मिलने से यमुना के किनारे मयूर विहार-एक की तरफ करीब 700 मीटर में काम रूका हुआ है । परियोजना के तहत मयूर विहार फेज-एक से सराय काले खां तक एलिवेटेड कारिडोर बनाया जाना है। इस कार्य के पूरा हो जाने पर मयूर विहार एक से एम्स तक यातायात सिग्नल फ्री हो जाएगा। जिससे पूर्वी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली और इंदिरा गांधी हवाई अड्डे तक आना जाना भी आसान हो जाएगा।
विभाग के प्रधान सचिव का चार्ज संभालने के बाद राजेश प्रसाद ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सचिवालय में इस परियोजना को लेकर बैठक ली। बैठक में लोक निर्माण विभाग के सभी वरिष्ठ और संबंधित अधिकारियों के अलावा दक्षिण पूर्वी जिला की डीएम व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
प्रधान सचिव ने बैठक में पूरे मामले को समझा और जमीन मिलने में हो रही देरी के बारे में बात की।जिस पर राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जमीन के लिए जल्द प्रक्रिया पूरी कर लेने की बात कही है।इस परियोजना के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की जानी है। जिसके लिए पिछले चार साल से प्रक्रिया चल रही है।
सूत्रों का कहना है कि किसान जमीन का अधिक मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इस वजह से मामला लटक रहा है। बारापुला के तीसरे फेज में सराय काले खां से मयूर विहार तक एलिवेटेड कारिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लंबाई साढ़े तीन किलोमीटर है। यह कारिडोर आठ लेन का है, जिसकी चौड़ाई 35 मीटर है।
इसके तैयार होने पर मयूर विहार से एम्स तक साढ़े नौ किलोमीटर रोड सिग्नल फ्री हो जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत आ रही जमीन को लेकर विवाद हो चुका है।करीब आठ एकड़ जमीन पर खेती कर रहे किसानों द्वारा दावा कर देने से मयूर विहार की तरफ कुछ भाग में अभी काम रुका हुआ है।
कारिडोर का अन्य भागों में काम पूरा हो चुका है, लेकिन यमुना पार के हिस्से में मयूर विहार साइड दो जगहों पर जमीन की दिक्कतों के चलते उतने भाग में काम पूरा नहीं हो पा रहा है। यमुना नदी के मयूर विहार की तरह एक जगह 500 मीटर और दूसरी जगह 290 मीटर दूरी तक कारिडोर का ढांचागत काम बाकी है। 500 मीटर दूरी तक ढांचागत कार्य पूरा करने के लिए 22,000 वर्ग मीटर और 290 वर्ग मीटर वाले हिस्से में एलिवेटिड कारिडोर को कनेक्ट करने के लिए पीडब्ल्यूडी को 9,000 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत है। यह परियोजना 2017 में पूरी होनी थी।