दिल्ली सरकार यातायात के लिए जिन चौराहों को सिग्नल फ्री नहीं कर सकी है, उन्हें व्यवस्थित करने पर जोर दे रही है। सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को ऐसे चौराहों की पहचान कर इन्हें व्यवस्थित करने की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। यह परिकल्पना दिल्ली गेट चौराहे को लेकर सरकार के सामने आई है। इस चौराहे को व्यवस्थित करने का काम शुरू भी हो गया है। इसके तहत चौराहे पर चारों दिशाओं की सड़कों के बीच की दूरी घटाई जा रही है, ताकि इससे बत्ती हरी होने पर यहां से अधिक वाहन गुजर सकें। साथ ही, पैदल यात्री भी आसानी से सड़क पार कर सकें।
बता दें कि दिल्ली गेट चौराहा दिल्ली के व्यस्ततम चौराहों में शुमार है। भूमिगत मेट्रो लाइन के गुजरने के कारण फ्लाईओवर आदि बनाकर फिलहाल इसे सिग्नल फ्री किया जाना संभव नहीं दिख रहा है। चौराहे में एक समस्या यह भी है कि इसके बीच की दूरी बहुत अधिक है, जिससे बत्ती हरी हो जाने पर भी कम संख्या में ही वाहन यहां से गुजर पाते हैं। अधिक वाहनों को यहां से निकालने के लिए यहां बत्ती का समय बढ़ाना पड़ता है। ऐसे में दूसरी सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। बता दें कि इस समय इस चौराहे पर जवाहर लाल नेहरू रोड, यानी राजघाट की ओर से आकर लोकनायक अस्पताल की ओर जाने के लिए बत्ती हरी होने पर वाहन चालक को करीब 80 मीटर और राजघाट की ओर से दरियागंज की ओर जाने के लिए करीब 130 मीटर चलना पड़ता है, उसके बाद ही सड़क मिलती है।
पीडब्ल्यूडी की योजना है कि राजघाट की ओर से दरियागंज की ओर जाने के लिए 40 मीटर, जबकि राजघाट की ओर से आकर लोकनायक अस्पताल की ओर आने-जाने के लिए 37 मीटर की दूरी रखी जाए। इससे फायदा यह होगा कि बत्ती हरी होने पर यहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या डेढ़ से दो गुना तक बढ़ जाएगी। इसके लिए चारों ओर से सड़कों को आगे तक बढ़ाया जा रहा है।
पैदल यात्रियों के लिए विशेष प्रबंध :
चौराहा छोटा होगा, तो पैदल यात्रियों को भी सड़क पार करने के लिए कम दूरी पार करनी होगी। चौराहे पर फुटपाथ चौड़े किए जा रहे हैं, ताकि लोग आसानी से सड़क पार कर सकें। उन्हें सुरक्षित सड़क पार कराने के प्रबंध किए जाएंगे। चौराहे के पास खाली बच रही जगह पर पर टापू बनाए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लोक निर्माण विभाग का चार्ज संभालने के बाद से पैदल यात्रियों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। उनका आदेश है कि जिन चौराहों को किन्हीं कारणों से सिग्नल फ्री नहीं किया जा सकता है, उन्हें व्यवस्थित करने के उपाय तलाशे जाएं और पैदल यात्रियों के लिए सुविधाएं बेहतर की जाएं।