हमारी ड्यूटी लाल किले पर थी। हमारे सामने ही ट्रैक्टर और घोड़े पर सवार बड़ी संख्या में उपद्रवी लाल किले में घुस आए। उनके हाथ में पत्थर और तलवारें थीं। भारी भीड़ को आते देख हम लोग जब तक खुद को संभाल पाते उपद्रवियों ने हमला कर दिया।
जान बचाने के लिए हम भागे, लेकिन पैर फिसलने के कारण गिरे और लाल किले के किनारे रखा ग्रिल हमारे ऊपर गिर गया। हम ग्रिल के नीचे से निकलने की कोशिश कर रहे थे और चिल्ला रहे थे कि हमें बचा लो, लेकिन मदद करने के बजाय उपद्रवी हमारे ऊपर डंडे बरसा रहे थे। भर्राती आवाज में दहशत के उन लम्हों की दास्तां दिल्ली पुलिस की सिपाही ऋतु ने कुछ यूं बया की।
हरियाणा के जींद की रहने वाले ऋतु ने बताया कि वह और उनकी सहयोगी सिपाही रेखा को एक पल को तो ऐसा लगा कि आज जिंदा नहीं बच पाएंगे। मैं और रेखा करीब 15 मिनट तक ग्रिल के नीचे दबे रहे। कुछ देर में वहां पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें ग्रिल हटाकर वहां से निकाला। ऋतु ने बताया कि उनके पैर-सिर में चोट लगी है, जबकि रेखा को पेट में गंभीर चोट आई है।