नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान पिछले करीब 3 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर अब भी डटे हुए हैं। कड़कड़ाती ठंड और बारिश में यह टपकती तिरपाल और टीन के शेड में रहे लेकिन गर्मी के दिनों में इसमें रह पाना मुश्किल है। किसानों ने बोला की जब तक उनकी मांगे पूरी नही होगी तब तक वह मोर्चा खाली नहीं करेंगे।
ऐसे में किसानों ने ईंट के घर बनाने शुरू कर दिए हैं। करीब 8 से 10 फुट तक इन कमरों की लंबाई रखी गई हैं और साथ हि लाइट और पंखे की भी सुविधा होगी। किसानों ने बताया की इन कमरों मे कूलर लगाने का भी बंदोबस्त होगा और गर्मी में ठंडक के लिए ऊपर पराली की छत बिछाई जायेगी।
किसान अब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और मोर्चा खत्म नहीं होने तक सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर सीमेंट से ईंट वाले घर बना रहे हैं। इन घरों को गर्मी में ठंडक का अहसास देने के लिए ऊपर पराली की छत बिछाई है। किसानों का कहना है कि यह कमरे एक वातानुकूल झोपड़ी (घर) होगा। इन कमरों की दीवारें ईंट की हैं, लेकिन इनका छत पराली और घास-भूसे से बना होगा। लोगों को तपती धूप में भी इसके नीचे बैठने से ठंडक का अहसास होगा।
किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो जल्द ही दिल्ली की सीमाओं पर ऐसे दर्जनों घर दिखाई देंगे। किसानों ने कहा की जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेगी, वह तब तक अपने मोर्चे को खत्म नहीं होने देंगे।