निजी वाहन में मास्क न पहनने के चलते 500 रूपये के जुर्माने के खिलाफ एक वकील द्वारा 10 लाख रूपये के हर्जाने की मांग करते हुए दायर की गई याचिका के जवाब में दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में बताया है कि निजी वाहन में भी फेस मास्क पहनना अनिवार्य है। सरकार ने कहा कि वह एक निजी वाहन है, न कि निजी स्थान।

एक वकील द्वारा दायर याचिका में उसने अपनी कार में अकेले ड्राइविंग करते समय मास्क नहीं पहनने के लिए 500 रुपये का जुर्माना लगाने के बाद 10 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था।

इस संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि विनियम / निर्देश / दिशानिर्देश बहुत स्पष्ट हैं कि “किसी भी व्यक्ति” को अपने निजी या आधिकारिक वाहन में मास्क लगाना अनिवार्य अनिवार्य है।

सरकार ने कहा कि एक निजी वाहन भी उक्त श्रेणी में आता है और इसे निजी क्षेत्र नहीं कहा जा सकता। इस पर विचार करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह कहा गया था कि जब कोई निजी वाहन सार्वजनिक सड़क से गुजरता है, तो जनता के पास “निजी वाहन से संपर्क करने” का अवसर होता है और उस तक पहुंच होती है।

दिल्ली सरकार द्वारा दायर किए गए जवाब में इस मामलों में उपस्थित एक वकील ने भी अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वयं कहा है कि कार में बैठे किसी भी व्यक्ति को मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने सुनवाई को 7 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया, जब वह इसी तरह के मुद्दों पर अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी।

 

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