डॉक्टरों और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सर्दियों के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण का बढ़ना शहर में कोविड ​​-19 की स्थिति को और बिगाड़ सकता है और सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है। हर सर्दियों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता (air quality) कई कारणों से कम हो जाती है जिसमें शहर की भौगोलिक स्थिति, प्रतिकूल मौसम, पराली का जलना और प्रदूषण के स्थानीय स्रोत शामिल हैं।

आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी विभाग में सलाहकार डॉ. अक्षय बुधराजा ने कहा कि वायु प्रदूषण क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस और फेफड़ों की सूजन से पीड़ित लोगों के लिए एक गंभीर खतरा है और ऐसे रोगियों को COVID-19 का खतरा अधिक है। अगर वे बीमारी के चपेट में आते है तो मामला ज़्यादा गंभीर हो जाता है।” वायु प्रदूषण अस्थमा को बदतर बनाता है। यह हमारे लिए भी एक चुनौतीपूर्ण समय होगा क्योंकि रेडियोलॉजिकल परीक्षा और आरटी-पीसीआर परीक्षण को 10-12 घंटे लगते है यह निर्धारित करने में कि क्या यह अस्थमा का मामला है या नहीं,” उन्होंने कहा।

उच्च वायु प्रदूषण स्तर स्थिति को बत से बत्तर बनाएगा क्योंकि यह श्वसन प्रणाली (respiratory system) और प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को गंभीर नुकसान पहुंचता है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के एक विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि कोविड ​​-19 के रोगियों में गंभीर जटिलताएँ होंगी। दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के पीछे केवल पराली का जलना ही एकमात्र कारण नहीं है। सरकार को हवा की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए सर्दियों के दौरान कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करने का आदेश देना चाहिए।

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